भीख मांगने वाले तीन सौ हाथियों की मुक्ति का अभियान

आगरा। वाइल्डलाइफ एसओएस वर्ष 2030 तक सभी भीख मांगने वाले हाथियों को बचाने के लिए एक महत्वाकांक्षी अभियान शुरू कर चुका है। संस्था के अनुसार इस तरह के हाथियों की संख्या तीन सौ है।

Jan 29, 2025 - 16:31
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भीख मांगने वाले तीन सौ हाथियों की मुक्ति का अभियान

-वाइल्डलाइफ एसओएस ने शुरू किया है यह अभियान, साल 2030 तक देश में 300 हाथियों को मुक्त कराने का लक्ष्य

दो साल पहले, वाइल्डलाइफ एसओएस को मोती नाम के एक भीख मांगने वाले हाथी की मदद के लिए आपातकालीन कॉल आई, जो गिर गया था। कई हफ्तों तक इस हाथी को बचाने के लिए अनगिनत प्रयास किये गए। भारतीय सेना ने भी इसमें योगदान दिया, लेकिन मोती नाम के इस हाथी को बचाया नहीं जा सका था। वाइल्डलाइफ एसओएस का मानना है कि अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो ऐसे ही कई और हाथियों की मौतें होंगी। इसी को ध्यान में रखकर यह अभियान शुरू किया गया है।

अक्सर अवैध रूप से और उचित कागजी कार्रवाई के बिना, अनुमानित 300 हाथियों को पैसा कमाने के उद्देश्य से सड़कों पर चलने के लिए मजबूर किया जाता है। कुपोषित और दुर्बल हो चुके इन हाथियों को और इनकी पीड़ा को अक्सर लोगों द्वारा नजरअंदाज किया जाता है।

आमतौर पर छोटे बच्चे के रूप में जंगल से पकड़कर अपने झुंड से अलग कर दिए गए इन हाथियों को 'भीख मांगने वाले' हाथियों के रूप में जाना जाता है। बुद्धिमान और सामाजिक जानवर यह हाथी नेत्रहीन, एकान्त जीवन और गंभीर चोटों के साथ अपना जीवन जीते हैं। इन्हें करतब दिखाने, आशीर्वाद देने या सवारी कराने और समारोहों और त्योहारों में देखा जा सकता है।

वाइल्डलाइफ एसओएस को भारत के पहले समर्पित हाथी अस्पताल के निर्माण के साथ-साथ 'नृत्य' भालू की सदियों पुरानी प्रथा को समाप्त करने के लिए जाना जाता है। 40 से अधिक हाथियों को बचाने के बाद, उनकी विशेषज्ञता अब भारत में भीख मांगने वाले हाथियों की ओर निर्देशित है।

 

संस्था का भीख मांगने वाले हाथियों की मदद के लिए चलाया गया यह अभियान पांच चरण में विभाजित है:

1. रेस्क्यू- हाथियों को सड़कों से हटाकर बचाव केंद्रों में ले जाना, जहां उनकी उचित देखभाल की जाएगी।

2. आउटरीच- वर्तमान में सड़कों पर मौजूद हाथियों को चिकित्सा देखभाल प्रदान करना।

3. रोकथाम- कानून प्रवर्तन और अवैध शिकार विरोधी कार्यक्रमों का समर्थन करके और अधिक हाथियों को सड़कों पर आने से रोकना।

4. शिक्षा- इन हाथियों की पीड़ा के बारे में सामुदायिक जागरूकता पैदा करना और उनके महत्वपूर्ण स्वास्थ्य आवश्यकताओं के बारे में बताना।

5. प्रशिक्षण - हाथियों को गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करने के लिए पशु चिकित्सकों को आधुनिक कौशल सिखाने पर ध्यान केंद्रित करना।

आम जनता वाइल्डलाइफ एसओएस की एलीफैंट हेल्पलाइन (+91 9971699727) पर भीख मांगते हाथी की सूचना देकर इसमें शामिल हो सकते हैं या फिर https://action.wildlifesos.org/page/162957/petition/1?ea.tracking.id=Website_Button पर साइन कर सकते हैं। वे ऊपर दिए गए नंबर पर टेक्स्ट या व्हाट्सएप टिप्स छोड़ सकते हैं, और उसके साथ ही एक ध्वनि संदेश जोड़ सकते हैं।

अभियान की आवश्यकता के बारे में बताते हुए  वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, भीख मांगते हाथियों की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए हमने पांच-चरणीय दृष्टिकोण के साथ इस महत्वाकांक्षी अभियान को शुरू करने का निर्णय लिया।

बैजूराज एम.वी., डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, वाइल्डलाइफ एसओएस ने कहा, “वाइल्डलाइफ एसओएस का यह अभियान बंदी हाथियों की पीड़ा को समाप्त करने के हमारे दृष्टिकोण के लिए एक सहायक कदम साबित होगा।

वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव गीता शेषमणि ने कहा, कैद में रह रहे भीख मांगने वाले हाथियों की समस्या को जड़ से उखाड़ना जरूरी है।

SP_Singh AURGURU Editor