दिल्ली चुनावः इस बार मुश्किल में है राजनीति का बाजीगर
देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों विधान सभा चुनाव की गहमागहमी है। 2013 में चुनावी राजनीति में उतरकर रातोंरात छाए आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को पहली बार कांटे के मुकाबलों से जूझना पड़ रहा है। भाजपा और कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को शिकस्त देने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। इससे दिल्ली का चुनाव बहुत रोचक हो चला है।

-आम आदमी पार्टी को भाजपा ही नहीं, कांग्रेस भी कड़ी चुनौती पेश कर रही
-एसपी सिंह-
नई दिल्ली। दिल्ली के पिछले दो चुनावों में इकतरफा और प्रचंड जीत दर्ज करने वाली आम आदमी पार्टी को इस बार लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी की नैया के खेवनहार पार्टी संयोजक और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल इस बार खुद कांटे के मुकाबले में हैं। सीएम आतिशी को भी पूर्व सांसद रमेस बिधूड़ी कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। भाजपा ने तो चक्रव्यूह रचा है ही, कांग्रेस भी इस चुनाव को गंभीरता से लड़ रही है। त्रिकोणीय मुकाबले में आप के समक्ष कड़ी चुनौतियां आ रही हैं।
2013 में 28 सीटें जीतकर पहली बार दिल्ली के सीएम बने अरविंद केजरीवाल ने 49 दिन बाद ही इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 2015 में वे 70 में से 67 जीतकर दोबारा सीएम बने। इस चुनाव में भाजपा तीन सीटों पर सिमट गई जबकि कांग्रेस का तो सूपड़ासाफ ही हो गया। 2020 के चुनाव में भी केजरीवाल के नेतृत्व में आप ने 70 में से 62 सीटें जीतकर भाजपा को आठ सीटों पर सीमित कर दिया था। कांग्रेस इस चुनाव में भी अपना खाता नहीं खोल पाई थी।
दिल्ली के इन तीनों ही चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो पाते हैं कि तब अरविंद केजरीवाल की छवि ऐसे नेता की थी जो राजनीति बदलने आया था। मुफ्त की घोषणाओं ने भी दिल्ली के लोगों को उनका दीवाना बना दिया था। पिछले विधान सभा चुनाव तक केजरीवाल की छवि पर कोई दाग नहीं था, लेकिन इस समय हो रहे चुनाव में केजरीवाल दागदार छवि के साथ मैदान में हैं। उन पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लग चुके हैं और कई महीने जेल में रहकर जमानत पर बाहर हैं।
केजरीवाल के लिए सबसे बड़ी चुनौती तो उनकी छवि पर लगा दाग है। इस मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए केजरीवाल निरंतर नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं, लेकिन भाजपा और कांग्रेस लोगों को बार-बार शराब घोटाले समेत अन्य घोटालों की याद दिला रहे हैं। चुनाव प्रचार में जुटे आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं के चेहरों को देखकर ही अंदाज हो रहा है कि सभी किस कदर परेशान हैं।
भाजपा इस चुनाव में केजरीवाल को पटकनी देने के लिए पूरी ताकत झोंके हुए है। नई दिल्ली सीट, जहां से केजरीवाल चुनाव लड़ रहे हैं, वहां भाजपा ने उनके मुकाबले में पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को उतार रखा है। प्रवेश वर्मा ने ऐसी हालत पैदा कर दी है कि केजरीवाल और उनके समर्थकों में घबराहट देखी जा रही है। भाजपा ने अन्य सीटों पर भी प्रत्याशी बहुत सोच समझकर उतारे हैं और राज्य की हर सीट पर भाजपा ने आप के समक्ष तगड़ी चुनौती पेश कर रखी है।
इधर कांग्रेस की भी समझ में आ चुका है कि इंडिया ब्लॊक के सदस्य के नाम पर आम आदमी पार्टी को वॊकओवर दिया तो कांग्रेस का दिल्ली में पूरी तरह सूपड़ासाफ हो जाएगा। आप ने दिल्ली में कांग्रेस को ही सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। कांग्रेस इस चुनाव में अपनी खोए हुए पुराने जनाधार को हासिल करने के लिए लड़ रही है। कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल के समक्ष पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को उतारकर केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
चारों ओर से घिरा पाकर अरविंद केजरीवाल अब मुफ्त की घोषणाओं की झड़ी लगा रहे हैं। हर रोज कोई न कोई एक नई घोषणा। कुल मिलाकर दिल्ली का इस बार का चुनाव बहुत रोचक होने जा रहा है। देखना यह है कि क्या अरविंद केजरीवाल इस बार भी पिछले दो चुनावों जैसा नतीजा लाते हैं या फिर बाजी विपक्ष के हाथ लगेगी।