‘अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर’ संघर्ष से सितारे तकः असरानी, जिन्होंने हंसी को अभिनय की भाषा बना दिया

मुंबई। हिंदी सिनेमा के सबसे प्रिय हास्य अभिनेता असरानी नहीं रहे। 20 अक्टूबर 2025 की शाम को मुंबई में 84 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। दिवाली के दिन सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं साझा करने के कुछ ही घंटे बाद उनके निधन की खबर ने पूरे फिल्म जगत को गहरे शोक में डाल दिया। पांच दशक से अधिक लंबे करियर में असरानी ने न केवल दर्शकों को हंसाया, बल्कि हर किरदार में संवेदना, मासूमियत और सादगी का मेल कर सिनेमा को नई पहचान दी।

Oct 21, 2025 - 16:23
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‘अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर’ संघर्ष से सितारे तकः असरानी, जिन्होंने हंसी को अभिनय की भाषा बना दिया
Image Courtesy: TOI

गोवर्धन असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को जयपुर में हुआ था। उनके पिता कालीन की दुकान चलाते थे। पढ़ाई के दिनों में ही उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो जयपुर में वॉयस आर्टिस्ट के रूप में काम शुरू किया ताकि जीवन यापन के खर्च पूरे हो सकें। वर्ष 1962 में वे अभिनय के सपने लेकर मुंबई पहुंचे, लेकिन शुरुआती दिनों में फिल्मी दुनिया ने उन्हें कोई बड़ी पहचान नहीं दी। छोटे-छोटे रोल, ऑडिशन की असफलताएं और लम्बा इंतजार, यही उनके करियर का आरंभिक अध्याय था।

असरानी ने हार नहीं मानी। 1964 में उन्होंने पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) में दाखिला लिया। वहीं उन्होंने अभिनय की बारीकियां सीखीं और 1966 में कोर्स पूरा किया। दिलचस्प बात यह रही कि पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें एफटीआईआई में टीचर की भूमिका भी निभानी पड़ी, ताकि गुज़ारा चलता रहे। बाद में यही अनुभव उनके आत्मविश्वास का आधार बना और फिल्मों के दरवाजे उनके लिए खुलने लगे।

असरानी ने लगभग 400 से अधिक हिंदी और गुजराती फिल्मों में काम किया। उनके अभिनय का दायरा इतना व्यापक था कि वे हर भूमिका में स्वाभाविक लगते थे। उन्होंने गंभीर किरदारों में भी हंसी का ऐसा पुट जोड़ा कि दर्शक बरसों बाद भी उन्हें याद करते रहे। 1973 में आई ‘अभिमान’ में वे अमिताभ और जया बच्चन के मित्र के रूप में नजर आए, जिसने उनकी सहज अभिनय शैली को स्थापित किया। इसी वर्ष ‘आज की ताज़ा खबर में’ उन्होंने बेतुकी परिस्थितियों में हास्य का ऐसा जादू दिखाया कि दर्शक लोटपोट हो गए।

वर्ष 1975 ने असरानी को अमर बना दिया, जब फिल्म ‘शोले’ में उन्होंने ‘अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर’ का किरदार निभाया। यह रोल आज भी हिंदी सिनेमा के इतिहास में सबसे यादगार हास्य भूमिकाओं में गिना जाता है। खुद असरानी ने एक साक्षात्कार में बताया था कि उन्होंने इस किरदार की बॉडी लैंग्वेज हिटलर से प्रेरित होकर तैयार की थी। उन्होंने कहा था, ‘मैंने हिटलर के भाषणों को देखकर उसकी हरकतें अपनाईं, क्योंकि वही इस किरदार में एक पागलपन और सत्ता का व्यंग्य जोड़ सकता था।‘

इसी वर्ष ‘चुपके-चुपके’ में ऋषिकेश मुखर्जी की हल्की-फुल्की कॉमेडी में भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी। 1977 में असरानी ने खुद निर्देशन और मुख्य भूमिका निभाई फिल्म ‘चला मुरारी हीरो बनने में’, जो एक संघर्षरत कलाकार की कहानी थी और कहीं न कहीं असरानी के अपने जीवन से प्रेरित भी थी। इसके बाद 1980 और 90 के दशक में वे हर दूसरी फिल्म का अहम हिस्सा बन गए। राजेश खन्ना, धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, जीतेंद्र, गोविंदा, सलमान खान से लेकर अक्षय कुमार तक, हर पीढ़ी के साथ उन्होंने बराबर काम किया।

2007 में ‘भूल भुलैया’ में भी वे दर्शकों को गुदगुदाते नज़र आए, और 2023 में ‘ड्रीम गर्ल 2’ जैसी आधुनिक फिल्मों में उन्होंने यह साबित कर दिया कि उम्र अभिनय की सीमा नहीं बनती। असरानी ने गुजराती सिनेमा और टेलीविजन पर भी बराबर काम किया। उनकी आवाज़, हाव-भाव और संवाद अदायगी में वह नाटकीय लय थी जो दर्शकों को उनके हर दृश्य में खींच लाती थी।

रेडिट पर एक यूज़र ने कभी लिखा था- ‘There was a time when Asrani was in every decently budgeted film… absolutely dependable actor who could play any type of character.’ यह बात बिल्कुल सच साबित होती है। 1970 से 1990 के दशक तक शायद ही कोई बड़ी फिल्म रही हो जिसमें असरानी न दिखे हों।

असरानी का जीवन सिखाता है कि संघर्ष, समर्पण और सहजता किसी कलाकार की सबसे बड़ी पूंजी होती है। उन्होंने हंसाने को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक कला के रूप में जिया। 20 अक्टूबर की रात जब दीप जल रहे थे, उसी वक्त यह दीपक बुझ गया, जिसने दशकों तक सिनेमा में हँसी की रोशनी फैलाई। उनके अंतिम संस्कार को निजी तौर पर किया गया, क्योंकि यही उनकी अंतिम इच्छा थी- जाने का शोर मत करना, मुस्कुराहट छोड़ जाना।

वह मुस्कान अब हमेशा के लिए हिंदी सिनेमा की यादों में अमर हो गई है। असरानी चले गए, पर उनका अंग्रेज़ों के ज़माने का जेलर आज भी हर चेहरे पर मुस्कान छोड़ जाता है। यही उनकी सबसे बड़ी जीत है।

SP_Singh AURGURU Editor