नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा हो घराना, साधो बैंड के स्वरों में गूंजे भक्ति गीत
मथुरा। ब्रज रज उत्सव के छठवें दिन की अंतिम प्रस्तुति में साधो बैंड ने अपने भक्ति गीतों से ऐसा वातावरण रचा कि पूरा परिसर आध्यात्मिक भावों से सराबोर हो गया।
बैंड की प्रस्तुतियों में लोक और आधुनिक वाद्यों का अद्भुत संगम देखने को मिला, जिसने दर्शकों के दिलों को छू लिया। कार्यक्रम की शुरुआत लम्बे इंतजार के बाद प्रसिद्ध गीत “नगरी हो अयोध्या सी रघुकुल सा हो घराना” से की।
इसके बाद ब्रज भूमि में राधा का स्मरण करते हुए राधा गोरी गोरी बरसाने की छोरी प्रस्तुत करते हुए राम के साथ कृष्ण भक्ति के स्वर गूंजने लगे। इसके बाद एक बार फिर राम पर लौटते हुए अपने प्रसिद्ध गीत रामा रामा करते बीती री उमरिया से दर्शकों में जोश भरने का काम किया। इसके बाद तो एक के बाद एक भजनों पर श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से उत्साह प्रकट किया।
साधो बैंड के गायन में प्रेम, भक्ति और एकत्व का संदेश झलकता रहा। उनकी भक्ति धुनों ने ऐसा रस घोला कि उपस्थित जनसमूह देर तक “राधे–श्याम” के जयघोष करता रहा और वातावरण भक्ति भाव से भर गया।




