पनवारी कांड से जुड़ी हिंसा में कोर्ट ने 35 दोषियों को सुनाई पांच-पांच साल कैद की सजा  

आगरा। वर्ष 1990 में सिकंदरा थाना क्षेत्र के पनवारी गांव में जातीय बवाल के बाद कागारौल थाना क्षेत्र के गांव ऊदर-रामनगर (अकोला) में हुई हिंसा के मामले में विशेष न्यायालय (एससी-एसटी) ने 35 लोगों को पांच-पांच वर्ष की सजा सुनाई है। सजा सुनाए जाते वक्त 32 अभियुक्त अदालत में मौजूद थे।

May 30, 2025 - 12:24
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पनवारी कांड से जुड़ी हिंसा में कोर्ट ने 35 दोषियों को सुनाई पांच-पांच साल कैद की सजा   

वर्ष 1990 के जून माह में सिकंदरा थाना क्षेत्र के पनवारी गांव में दलित समाज के चोखे लाल जाटव की बेटी मुंद्रा की शादी में बरात के रास्ते को लेकर जातीय तनाव पैदा हुआ था। उस दिन पनवारी गांव में आगरा ही नहीं, मथुरा और भरतपुर तक के लोग पहुंचे हुए थे। भारी भीड़ की ओर से पथराव और फायरिंग किए जाने पर पुलिस ने जवाबी फायरिंग की थीजिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी।

इस घटना की प्रतिक्रिया में कागारौल थाना क्षेत्र के ऊदर-रामनगर (अकोला) गांव में दलित बस्ती में हिंसा हुई थी। लोगों ने कथित तौर पर बड़े पैमाने पर आगजनी और हिंसा को अंजाम दिया। इस मामले में कागारौल थाने में मामला दर्ज हुआ और जांच के बाद 74 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। मुकदमे की सुनवाई के दौरान 22 लोगों की मौत हो चुकी थी। दो अभियुक्त नाबालिग थे जबकि शेष बचे 50 अभियुक्तों पर सुनवाई हुई।

इस केस में पीड़ितों की ओर से सरकारी वकील हेमंत दीक्षित ने पैरोकारी की थी। विगत 28 मई को अदालत ने 50 से 15 लोगों को तो संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था जबकि शेष 35 को दोषी मानते हुए सजा के लिए 30 मई की तिथि नियत की थी। अदालत ने इसी क्रम में आज सुबह सभी 35 लोगों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई।

मामले की सुनवाई के दौरान घायलों और चश्मदीदों की गवाही बेहद महत्वपूर्ण रही। अदालत ने आरोपियों को धारा धारा 147, 148, 323, 406, 506 452, 427, और 3 (1) 10 एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी माना था।

अदालत ने जिस समय सजा सुनाई, दोषियों के परिवारीजन और रिश्तेदार भी कोर्ट के बाहर मौजूद थे। सजा का ऐलान होते ही सभी के चेहरे मायूस थे, लेकिन वे फिर भी अपने दुख को छिपाकर सजा पाए परिजनों को हिम्मत दे रहे थे।

SP_Singh AURGURU Editor