बरेली में दहेज हत्या के मामले में पति, सास और ससुर को मृत्यु दंड
बरेली। बरेली के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (त्वरित न्यायालय-प्रथम) रवि कुमार दिवाकर ने दहेज हत्या के एक मामले में गुरुवार को पति, सास और ससुर को फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने अपने फैसले में दहेज प्रथा की निंदा करते हुए सख्त टिप्पणियां कीं और समाज को चेतावनी दी कि यदि इस कुप्रथा को नहीं रोका गया तो आने वाली पीढ़ियां भी इसका दंश झेलेंगी।

मामले में सिद्ध दोष 25 वर्षीय मकसद अली मृतका फराह का पति है। साबिर अली (60 वर्ष) उसका ससुर है और मसीतन उर्फ हमशीरन (55 वर्ष) उसकी सास है। कोर्ट ने इन तीनों को फांसी की सजा सुनाई।
तीनों के खिलाफ नवाबगंज थाने में धारा 498-ए, 304-बी, 302/34 भारतीय दंड संहिता और धारा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आज भी समाज में बेटियों को बोझ समझा जाता है। उनकी शादी को माता-पिता के लिए जीवन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी मान लिया जाता है, जिससे दहेज जैसी प्रथाएं जन्म लेती हैं। हमें इस मानसिकता को बदलना होगा।
न्यायाधीश ने कहा कि यदि इस तरह के अपराधों में नरमी बरती जाती है तो यह समाज में अपराध को बढ़ावा देने जैसा होगा। दहेज हत्या का यह मामला जघन्यतम अपराध की श्रेणी में आता है, इसलिए दोषियों को फांसी की सजा दी जाती है।
कोर्ट ने कहा कि यह केवल एक महिला की हत्या का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए चेतावनी है। यदि इस तरह के मामलों में कठोर दंड नहीं दिया गया तो बेटियों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
अदालत ने इस मामले को दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में रखते हुए दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस फैसले से समाज में एक मजबूत संदेश जाएगा कि दहेज प्रथा को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जो भी इसमें लिप्त होगा, उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।