महाकुम्भ में पहली बार मनाया गया भोगाली बिहू पर्व

असमिया संस्कृति का प्रतीक है भोगाली बिहू मकर संक्रांति के अवसर पर मेला क्षेत्र में बिहू नृत्य का हुआ आयोजन

Jan 15, 2025 - 17:47
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महाकुम्भ में पहली बार मनाया गया भोगाली बिहू पर्व

प्रयागराज। महाकुम्भ मेला क्षेत्र में इस वर्ष पूर्वोत्तर राज्यों की विविध परंपराएं पहली बार देखने को मिलीं। मेला प्रशासन ने उत्तर-पूर्व के साधु-संतों को आध्यात्मिकता की मुख्य धारा से जोड़ने और देश की संस्कृति को एकता के एक सूत्र में पिरोने के उद्देश्य से इस अवसर का हिस्सा बनने का मौका दिया। इसी क्रम में, महाकुम्भ मेला परिसर में पहली बार पूर्वोत्तर का प्रसिद्ध पर्व भोगाली बिहू धूमधाम से मनाया गया। मकर संक्रांति के अवसर पर पूर्वोत्तर के संतों के शिविर प्राग ज्योतिषपुर में मंगलवार तड़के सुबह विशेष आयोजन हुआ, जिसमें परंपरागत रूप से पर्व मनाने के साथ-साथ कई राज्यों से आई महिला श्रद्धालुओं ने बिहू नृत्य प्रस्तुत किया।

माघ बिहू या भोगाली बिहू भारत के असम प्रदेश में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है। यह माघ माह में मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन मनाए जाने वाला यह पर्व फसलों की कटाई और उससे उपजे उल्लास का प्रतीक है। 

क्षेत्र में सुबह के समय चावल से बने व्यंजन को वितरित किया गया। नामघर में नाम कीर्तन का आयोजन हुआ। इससे पहले मेला परिसर की महिला श्रद्धालुओं ने बिहू नृत्य प्रस्तुत कर पूर्वोत्तर की असमिया संस्कृति का रंग महाकुम्भ मेला परिसर में बिखेर दिया। इस अवसर पर एक दिन पूर्व रात में धान के पुआल से बनाए गए भेलाघर और बांस की मदद से बनाए गए मेजी को मंगलवार सुबह जला दिया गया। इस अवसर पर पूर्वोत्तर के राज्यों के संत, साधक और श्रद्धालु मौजूद रहे।

योगाश्रम बिहलांगिनी असम के महामंडलेश्वर स्वामी केशव दास जी महाराज ने बताया कि महाकुम्भ में पहली बार मकर संक्रांति पर मनाया जाने वाला भोगाली बिहू पर्व मनाया गया है। असमिया संस्कृति और पूर्वोत्तर की संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए महाकुम्भ में यह अनूठा आयोजन किया गया है। यह आयोजन महाकुम्भ के सामाजिक और सांस्कृतिक दायरे का विस्तार करने के उद्देश्य किया गया है।