डॊक्टर की लापरवाही से गई थी पति की जान, विधवा को 22 साल बाद मिला न्याय  

आगरा। एत्माउद्दौला क्षेत्र के शाहदरा की एक 75 वर्षीय विधवा महिला, श्रीमती गिरिजा देवी  को 22 साल बाद अपने पति की मृत्यु के मामले में न्याय मिला है। उनके पति सुरेंद्र कुमार गुप्ता की मृत्यु 23 फरवरी 2003 को डॉक्टर की लापरवाही से हुई थी।

Feb 2, 2025 - 16:15
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डॊक्टर की लापरवाही से गई थी पति की जान, विधवा को 22 साल बाद मिला न्याय   
गिरिजा देवी को चेक प्रदान करते जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार।

श्रीमती गिरिजा देवी ने जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग प्रथम में डॉक्टर उमाकांत गुप्ता और डॊ. विद्या गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। आयोग ने 01 जनवरी 2007 को फैसला सुनाया, जिसमें डॉक्टरों को 50 हजार रुपये सेवा में कमी और इलाज में हुए खर्च पर एक लाख तथा वाद व्यय के रूप में एक हजार रुपये अदा करने का आदेश दिया गया था।

डॉक्टरों ने इसके खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग और फिर राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में अपील की, लेकिन दोनों जगहों पर उनकी अपील खारिज कर दी गई। अंततः जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार ने श्रीमती गिरिजा देवी को 3.15 लाख रुपये का चेक दिया तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे।

इस मामले में श्रीमती गिरिजा देवी के पति को पहले डॉक्टर शेखर वाजपेई ने देखा था, जिन्होंने प्रोस्टेट की समस्या बताई थी। बाद में उन्हें विद्या नर्सिंग होम में डॉक्टर उमाकांत गुप्ता और डॊ. विद्या गुप्ता ने देखा

उन्होंने तुरंत पति को नर्सिंग होम में भर्ती कर लिया तथा दस हजार रुपये जमा करा लिए और ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर उनका ऑपरेशन कर दिया। वादिया के पुत्र अनिल कुमार ने पूछा कि पिताजी का ऑपरेशन आपने इतनी जल्दी क्यों कर दिया जबकि उसके पिता हाई ब्लड प्रेशर व अस्थमा के मरीज हैं।

इस पर डॉक्टर उमाकांत गुप्ता ने वादिया के पति को दिखाने के लिए हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एसके सिंह को बुलाया तो उन्होंने भी मरीज को देखते ही डॉक्टर से कहा कि आप लोगों ने यह क्या कर दिया। मरीज की पल्स रेट गिरती जा रही है। उन्होंने तुरंत कई इंजेक्शन लगाए और ऑक्सीजन लगाई। इसके बाद डॉक्टर उमाकांत गुप्ता और विद्या गुप्ता ने कहा कि अब आपके पति ठीक हैं, घर ले जाइए।

वादिया गिरिजा देवी पति को घर ले आई लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। तीन दिन बाद जब वादिया अपने पति को दिखाने ले गई तो डॉक्टर गुप्ता ने पट्टी करके घर भेज दिया। उसके बाद पति की हालत खराब होने पर 07 फरवरी 2003 को उन्हें अस्पताल ले गई तो उन्हें डॉक्टर ने पट्टी करके घर ले जाने के लिए कहा। वादिया के अनुसार उस समय पति के घाव से मवाद निकल रहा था। स्थिति बिगड़ने पर डॉक्टर उमाकांत गुप्ता को दिखाया तो डॉक्टर ने पति को राम रघु हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया, जहां इलाज के दौरान 23 फरवरी 2003 को पति की मृत्यु हो गई।

गिरिजा देवी ने बताया कि उन्होंने डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, लेकिन उन्हें न्याय मिलने में 22 साल लग गए। उन्होंने कहा कि न्याय मिलने से उन्हें कुछ संतुष्टि मिली है, लेकिन अपने पति की मृत्यु का दर्द वे कभी नहीं भुला पाएंगी।

 

SP_Singh AURGURU Editor