अपने समय की खूंखार दस्यु सुंदरी रही कुसुमा नाइन की मौत
इटावा। यहां की जिला जेल में उम्र कैद की सजा काट रही अपने जमाने की खूखार पूर्व दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन ने आज लखनऊ के पीजीआई में अंतिम सांस ली। कुसुमा का 65 साल का जीवन संघर्ष के साथ अपराधों से भरा रहा। स्कूल की छात्रा से लेकर दस्यु सुंदरी बनने और फिर जेल में अध्यात्म से जुड़ने तक कुसुमा नाइन मौत के अंतिम दिनों में टीबी से ग्रसित हो गई थी। यही बीमारी उसके लिए जानलेवा बनी। जेल में रहते हुए कुसुमा ने जहां अतीत पर गहरा पश्चाताप किया वहीं एक बेहतर इंसान बनने की कोशिश भी की।

-स्कूल छात्रा से दस्यु सुंदरी और फिर अध्यात्म से जुड़ाव तक का रहा कुसुमा का सफर
-इटावा जेल में उम्र कैद की सजा काट रही थी, टीबी से संक्रमित होना बना मौत की वजह
13 साल की उम्र में प्यार में पड़ गई थी
उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के टीकरी गांव में पैदा हुई कुसमा का बचपन सुख में बीता। उसके पिता गांव के प्रधान थे। कुसुमा जब 13 साल की थी, तब उसे स्कूल के सहपाठी माधव मल्लाह से प्यार हो गया था और उसी कच्ची उम्र में वे दोनों अपने घरों से भाग गए थे। कुसमा के पिता की शिकायत यूपी पुलिस ने इन्हें दिल्ली में पकड़ लिया। इसके बाद पिता ने कुसुमा की शादी आनन-फानन में एक सजातीय के यहां कर दी। उधर उसका प्रेमी माधव मल्लाह अपराध के रास्ते पर चल पड़ा और फूलन देवी और विक्रम मल्लाह के गिरोह में शामिल हो चुका था।
शादी के बाद प्रेमी ससुराल से उठा लाया था
कुसुमा नाइन अपनी ससुराल में रह रही थी, लेकिन प्रेमी माधव उसे भुला नहीं पाया। विक्रम मल्लाह गिरोह की मदद से माधव एक दिन कुसुमा की ससुराल पहुंचा और उसे वहां से जबरन उठा लाया। यहीं से कुसुमा के जीवन में दस्यु जीवन की एंट्री हुई। कुसुमा जल्द गिरोह में अहम भूमिका में आ गई थी।
जब फूलन गैंग से लालाराम गैंग में पहुंची
यह वह दौर था जब बेहमई कांड के बाद लालाराम गैंग और फूलन देवी के गैंग एक-दूसरे के दुश्मन बने हुए थे। फूलनदेवी लालाराम का खात्मा करना चाहती थी। गैंग में इस पर चर्चा हुई तो कुसमा ने आगे बढ़कर लालाराम को मारने की सुपारी ली। कुसमा को लालाराम के गिरोह में भेजा गया। कुसुमा ने शुरुअआत में लालाराम से प्यार का नाटक किया, लेकिन बाद में वह सच में लालाराम के प्यार में पड़ गई।
लालाराम गैंग में रहते हुए ही कुसमा को हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली और फिर इस गैंग की सक्रिय सदस्य के रूप में अपराधों को अंजाम देने लगी। उसने गिरोह के साथ लूट, अपहरण और फिरौती की तमाम घटनाओं को अंजाम दिया।
अब बुंदेलखंड से लेकर चंबल के बीहड़ों तक कुसमा नाइन का आतंक फैलने लगा था। कहा जाता है कि उसने एक बार एक महिला और बच्चे को जिंदा जला दिया था। खौफ की पर्याय बनने के बाद कुसुमा पुलिस के रडार पर भी आ चुकी थी।
प्रेमी से बदला और सामूहिक हत्याकांड
कुसमा ने लालाराम के साथ मिलकर फूलन देवी के प्रेमी विक्रम मल्लाह और अपने प्रेमी माधव मल्लाह को ढेर कर दिया। 1982 में जब फूलन देवी ने आत्म समर्पण कर दिया था, तब कुसमा चंबल की सबसे खूंखार दस्यु सुंदरी के रूप में पहचान बना चुकी थी। लालाराम गिरोह द्वारा 15 मल्लाहों की एक साथ हत्या किए जाने के बाद कुसुमा का खौफ सिर चढ़कर बोलने लगा था। बाद में कुसमा फक्कड़ बाबा के गिरोह में शामिल हो गईं। इस गिरोह में रहते हुए उसने एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी का अपहरण कर सनसनी फैला दी थी।
2004 में डाले हथियार, जेल में प्रायश्चित
वर्ष 2004 में कुसुमा ने अपने गिरोह के साथ पुलिस के सामने हथियार डाल दिए थे। कुसुमा पर मध्य प्रदेश के अलावा यूपी में भी मुकदमे चले। शुरुआत में वह एमपी की जेलों में रही और बाद में यूपी के इटावा की जेल में आ गई थी। यहां वह उम्र कैद की सजा काट रही थी। जेल में रहते हुए कुसमा का झुकाव अध्यात्म की तरफ हुआ। इटावा जेल के अधिकारी बताते हैं कि कुसुमा जेल में पश्चाताप के भाव में रही। उसने गीता और रामायण जैसी धार्मिक पुस्तकें पढ़ीं। बाद में वह अन्य कैदियों को भी गीता और रामायण का पाठ पढ़ाया करती थी।
टीबी का संक्रमण बना जानलेवा
इटावा जेल में रहते हुए ही कुसुमा नाइन को टीबी का संक्रमण हो गया था। इससे उसकी हालत बिगड़ती चली गई थी। पिछले जनवरी महीने में उसे सैफई पीजीआई में भर्ती कराया गया था। वहां कुछ दिन इलाज के बाद वह वापस जेल लौट आई थी। इस बार उसका स्वास्थ्य फिर बिगड़ा। उसे लखनऊ पीजीआई ले जाया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। जेल प्रशासन ने कुसुमा का शव उसके परिजनों को सौंप दिया है।