नायडू के एक दांव से विपक्ष के अरमानों पर फिरा पानी

अमरावती। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की एक चाल ने विपक्ष के मंसूबों पर पानी फेर दिया। चंद्रबाबू नायडू ने पूर्ववर्ती जगनमोहन रेड्डी सरकार के तमाम फैसलों को पलट दिया। नायडू ने आदेश जारी कर कह दिया है कि आंध्र के सभी मंदिरों के कर्मचारी सिर्फ हिंदू ही होंगे। इसके साथ ही उन्होंने आंध्र के मंदिरों को जीर्णोद्धार के लिए दस लाख रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने पुजारियों को 15 हजार रुपये प्रति माह वेतन देने तथा मंदिरों में बाल काटने वाले नाइयों को 27 हजार रुपये प्रति माह वेतन देने की घोषणा कर दी।

Sep 3, 2024 - 11:23
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नायडू के एक दांव से विपक्ष के अरमानों पर फिरा पानी

गौरतलब है कि जगनमोहन रेड्डी की सरकार ने तिरुपति बालाजी मंदिर में भी इसाई समुदाय के लोगों को कर्मचारी के तौर पर नौकरी दे दी थी। इतना ही नहीं, कई मंदिरों में जगनमोहन रेड्डी की सरकार ने मुस्लिमों को भी नौकरी दी। उन्होंने राज्य में इसाई धर्म के प्रचार-प्रसार में भी साथ दिया। दलित और आदिवासी समुदाय के लोगों को इसाई धर्म में धर्मांतरण कराने में भी सहयोग दिया था। इसके लिए उन्होंने जिलाधिकारियों को मौखिक आदेश भी दिए थे। इससे आंध्र प्रदेश में आम जनमानस में काफी नाराजगी थी। 

सरकारी पैसों का इस्तेमाल किसी भी धार्मिक स्थल के विकास के लिए नहीं किया जा सकता है। यदि किया जाए तो सभी धर्मों के साथ समानता से हो। गौरतलब है कि हिंदुओं के सभी प्रमुख स्थलों पर सरकार का नियंत्रण है, जबकि गिरजाघरों और मस्जिदों के साथ यह नहीं है। हिंदू मंदिरों की मांग है कि यदि उनके मंदिरों को भी सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया जाए तो उस पर सरकार को कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ेगा। नायडू ने इसे देखते हुए कि मंदिर सरकार के नियंत्रण में है तो उसकी देख-रेख कैसे हो सकती है या वहां की व्यवस्था बेहतर कैसे होगी, यह फैसला किया है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि मंदिरों की कमाई सरकार लेती है तो स्वाभाविकरूप से उसकी बेहतरी के लिए खर्च भी सरकार को ही करना होगा।

इसके साथ ही चंद्रबाबू नायडू ने सिर्फ आंध्र प्रदेश को ही नहीं, पूरे देश में इसके जरिए एक बड़ा संदेश भी दे दिया है। उनका यह संदेश राजनीतिक है। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी तेलुगू देशमें केंद्र की मोदी सरकार के साथ मजबूती से खड़ी है। विपक्ष को सर्वाधिक उम्मीद चंद्रबाबू नायडू से ही थी। विपक्ष को लगता था कि मोदी या केंद्र सरकार हिंदुओं के लिए कुछ भी करेंगे तो चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार उनका साथ छोड़ देंगे। लेकिन नायडू ने तो एक कदम बढ़ा कर मंदिरों के लिए जो फैसला किया, उससे पूरा विपक्ष हैरान है।