राजा भैया की बेटी मां के समर्थन में उतरी, बोली- न्याय की लड़ाई लड़ रही हूं
प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में कुंडा विधायक और भदरी नरेश रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के घरेलू विवाद में अब उनकी बेटी राघवी कुमारी सिंह भी कूद गई हैं।राघवी ने अपनी मां का पक्ष लेते हुए कहा कि मेरी मां ने पिछले 30 साल से घरेलू हिंसा, अपमान, विश्वासघात बर्दाश्त किया। उन्होंने हाई प्रोफाइल मामले में अत्याचार रोके जाने की अपील की है।

राघवी सिंह ने कहा- मैं यह तस्वीरें और एक स्क्रीनशॉट भी सबूत के तौर पर साझा कर रही हूँ, जिसमें यह व्यक्ति खुद स्वीकार कर रहा है कि मेरी माँ के फर्जी हस्ताक्षर इस्तेमाल किए गए हैं। यह व्यक्ति दो साल पहले हमारे घर आया था और मेरी माँ की मदद के लिए बस्ती से आए स्टाफ को धमका रहा था। यह सिर्फ उस दिन की कहानी नहीं है, यह सिलसिला पिछले कई वर्षों से चल रहा है। मेरी माँ ने 30 साल तक सब कुछ सहन किया, घरेलू हिंसा, अपमान, धोखा, विश्वासघात, यहाँ तक कि स्वास्थ्य पर हुए स्थायी नुकसान, लेकिन उन्होंने कभी इसे सार्वजनिक नहीं किया।
उन्होंने कहा कि गवाहों को धमकाया जा रहा है, यूपी पुलिस खुद स्वीकार कर रही है कि एफआईआर बेबुनियाद है लेकिन हाई-प्रोफाइल मामला होने के चलते कोई कार्रवाई नहीं कर रही, तब हमारे पास सोशल मीडिया पर अपनी बात रखने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। मैं रोज़ अपनी माँ को इस मानसिक और शारीरिक यातना में टूटते हुए देखती हूँ, और मेरा दिल दुखी हो जाता है। क्या इस सरकार से इतनी भी उम्मीद नहीं कि वह अवैध एफआईआर, सत्ता के दुरुपयोग और महिला पर हो रहे अत्याचारों को रोके? कब हमें निष्पक्ष सुनवाई और न्याय मिलेगा? यह लड़ाई पैसा, संपत्ति या अहंकार की नहीं, सिर्फ जीने के अधिकार, आत्मसम्मान और न्याय की लड़ाई है। मैं हाथ जोड़कर सरकार, प्रशासन और समाज से अपील करती हूँ: कृपया अब तो सुनिए, कृपया अब तो हस्तक्षेप कीजिए। एक बेटी की पुकार को सुना जाए।
बेटी ने कहा- मेरी माँ पहली बार सार्वजनिक रूप से ट्विटर पर इसलिए बोल रही हैं क्योंकि उनके गवाहों को धमकाया जा रहा है, उन्हें मानसिक और शारीरिक यातना दी जा रही है। अगर वो आपके जैसे लोगों की सलाह मान लेंगी, तो उनकी जान पर बन आएगी। जब आप मेरी माँ की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी नहीं ले सकते, तो कृपया ऐसे समय में अपनी टिप्पणियाँ करने से परहेज़ करें। यह लड़ाई उनकी मजबूरी है, न कि कोई स्वार्थ।
इससे पहले राघवी की मां और राजा की पत्नी भानवी सिंह ने भी एक्स पर लंबी पोस्ट लिखते हुए कहा- किसी ने मुझे शुरू में ही कहा था आप जिससे लड़ने जा रही हैं यह व्यक्ति कैसा है आपको पता है? मैंने कहा था मुझसे बेहतर कौन जानता है मेरे पति हैं। उनमें बहुत ताक़त है साक्ष्य को प्रभावित कर सकते हैं। गवाहों को तोड़ सकते हैं । पीड़ित को ही मुजरिम बनवा दें यह ताक़त भी उनमें है। यही सब तो इतने सालों में मैंने देखा है। फिर सवाल हुआ कि इतना सब जानती हो तो लड़ना क्यों चाहती हो समझौता कर लो। मैंने कहा कि लड़ना कभी नहीं चाहती थी बस जब अन्याय और उत्पीड़न की पराकाष्ठा हो गई तो न्याय की आस में उठ खड़ी हुई। मैं समझौता किससे करूँ उनके अवैध रिश्तों से, समझौता किससे करूँ उनके भय और आतंक से या समझौता करूँ अपने जमीर से।
भानवी ने अपने साथ बर्बरता की बात करते हुए कहा- मुझे पीटा गया। मेरी हड्डियां टूटीं। मेरे फेफड़ों में ज़ख्म हुए। मैं सब बर्दाश्त कर लेती अगर एक उम्मीद होती कि शायद ये सुधर जाएँगे। लेकिन उत्पीड़न बढ़ता गया और जान पर बन आई। बच्चों को लेकर क्या- क्या सहना पड़ा । बोलना मजबूरी हो गई। अवैध रिश्ता मेरे सब्र पर हर तरह से भारी पड़ रहा था। मुझे किसी ने कहा बच्चे भी टूट जायेंगे तो क्या करोगी? मैंने कहा कुछ नहीं करूँगी बच्चों के लिए ही सबकुछ कर रही थी अगर मुझे कमजोर करने से बच्चे मजबूत होंगे तो मैं बहुत खुश होऊँगी । लेकिन न्याय की जिस राह को मैंने चुना है उससे नहीं डिगूँगी । मुझे अंदर से बुरी तरह मार दिया है अगर मैं ज़िंदा नहीं भी रहूँगी तो क्या हुआ ? दुनिया कहेगी कि एक ऐसे व्यक्ति से सचाई के लिए लड़ी जिससे हर कोई डरता था। उत्पीड़न को मजबूर लड़कियों का अन्याय से लड़ने का हौसला बढ़ेगा।
जो डर लोगों ने मुझे दिखाया था आज वही हो रहा है। गवाह धमकाए जा रहे हैं। ग़लत गवाही दिलवाई जा रही है। धनबल और बाहुबल के आतंक से उन सभी को डराया धमकाया जा रहा है जो सच जानते हैं बोल सकते हैं। लोग मुकर रहे हैं , जो नहीं मुकरे हैं हो सकता है आने वाले दिनों में मुकर जाएं। मेरे साथ जब इतना उत्पीड़न हो सकता है तो जिन लोगों ने यह उत्पीड़न होते देखा है उनका डर लाजिमी है। कोर्ट या पुलिस का प्रोटेक्शन जब तक नहीं होगा ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कौन सच बोल पाएगा। कोई न बोल पाये। हर कोई डर जाये लेकिन “ सच “ मेरे साथ हुआ उत्पीड़न आज भी बोल रहा है। मेरी टूटी हुई हड्डियां जो ग़लत जुड़ गईं वो सच बोल रही हैं।
एम्स की रिपोर्ट और अन्य मेडिकल रिपोर्ट्स सचाई चीख- चीख कर बयान कर रही हैं। इसलिए "मैं 498A मामले में 2015 की मेडिकल रिपोर्ट और AIIMS की 2024 की रिपोर्ट साझा कर रही हूं। इन्हें किसी गवाही की जरूरत नहीं है। मेरे फेफड़ों की स्थायी क्षति को प्रमाणित करती हुई रिपोर्ट देखकर शायद उनका भी जमीर जाग जाये जो धन और करियर के दबाव में अन्याय का साथ देने को मजबूर हैं। यह सब इसलिए लिख रही हूँ क्योंकि कल जब दिल्ली पुलिस जांच के लिए लखनऊ गई , तो मेरे गवाहों को काफ़िलों में आए प्रभावशाली लोगों ने इस कदर धमकाया कि वे डर के चलते पीछे हट गए। सवाल लाजिमी है अगर गवाह ही डर जाएं, तो मुझे न्याय कैसे मिलेगा? लेकिन मैंने कई केस को देखा समझा है। न्याय इतना अंधा नहीं है। पुलिस , कोर्ट जरूर देखेगी कि वह गवाही किन लोगों से और किसके ख़िलाफ़ लेना चाहती है। क्या गवाहों को कोई संरक्षण मिला है। वे आज गवाही देंगे कल उनकी हत्या भी हो सकती है यह डर स्वाभाविक है। जब मैं इतना डरी हूँ। तो गवाहों का डर लाजिमी है।
कई उदाहरण है जब गवाह बाहुबल के आगे झुक गए। धनबल के आगे मुकर गए। पद और करियर की लालसा में लोगों ने ग़लत बयानी की। लेकिन साक्ष्य सब पर भारी पड़ा। मुझे उम्मीद है न्याय जरूर होगा। उनके अन्याय और पाप का घड़ा भर चुका है। जो लोग डरा रहे हैं दरअसल वे न्याय से डर रहे हैं उन्हें डर है कि न्याय हुआ तो उन्हें जेल भी जाना होगा और सचाई पूरी दुनिया देखेगी।
मैं अपनी मेडिकल रिपोर्ट यहाँ साझा कर रही हूँ। अगर कल को ये रिपोर्ट भी नष्ट करने का प्रयास हो और मुझे मारकर मामला ख़त्म करने का प्रयास हो तो इसे साक्ष्य मानकर कार्रवाई की जाये। मेरे मारने ले बाद भी मेरा पोस्टमॉर्टम जरूर किया जाए। जिससे कोई सच छिपा न सके। और हाँ अगर मोदी जी अमित शाह जी इसकी सीबीआई जाँच करवा दें तो बहुत से ऐसे भेद खुलेंगे जो न्याय के लिए और जनहित में भी जरूरी हैं।