शीरोज कैफे में डॉक्यूमेंट्री ‘द साइंटिस्ट हू रन्स एट नाइट’ की स्क्रीनिंग

    आगरा। एक भारतीय वैज्ञानिक ने अपनी ज़िंदगी के 50 साल अपने अनोखे आविष्कार, RISUG (Reversible Inhibition of Sperm Under Guidance) पर काम करते हुए बिताए हैं। यह पुरुषों के लिए एक नई गर्भ निरोधक विधि है, जो एक बार की इंजेक्शन के रूप में लंबी अवधि तक असरदार, पलटने योग्य और बिना कोई बड़ी साइड इफेक्ट्स के होती है।

Mar 10, 2025 - 16:42
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शीरोज कैफे में डॉक्यूमेंट्री ‘द साइंटिस्ट हू रन्स एट नाइट’ की स्क्रीनिंग
शीरोज हैंगआउट कैफे में फिल्म द साइंटिस्ट हू रन्स एट नाइट की स्कीनिंग के मौके पर मौजूद निर्माता निर्देशक मिथुन प्रमाणिक और शहर के डॊक्टर।  

-पुरुषों के लिए नई गर्भ निरोधक विधि को दर्शाया गया है इस फिल्म में

इस आविष्कार का वैश्विक गर्भ निरोधक विधियों में क्रांति लाने की क्षमता है  और अब इसे एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह फिल्म दुनिया को एक अद्भुत वैज्ञानिक और उनके जीवन के काम को जानने का अवसर देती है, जो गर्भ निरोध के तरीके को हमेशा के लिए बदल सकती है।

पद्मश्री से सम्मानित हैं डॉ. सुजय कुमार गुहा

कनाडाई प्रसारण निगम ने 'The Scientist Who Runs at Night' नामक फिल्म का निर्माण किया है। यह फिल्म डॉ. सुजय कुमार गुहा के जीवन और काम पर आधारित है। उन्हें 2020 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्मश्री से नवाजा गया। यह 40 मिनट की डॉक्यूमेंट्री डॉ. गुहा के बुनियादी संघर्षों, वैज्ञानिक नवाचार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और उनकी दौड़ने की आदत पर प्रकाश डालती है, जो उनके धैर्य और मेहनत का प्रतीक है। यह फिल्म डॉ. गुहा के दशकों पुराने संघर्ष को दर्शाती है।

एक बार का इंजेक्शन दस साल तक प्रभावी

प्रोफेसर सुजय कुमार गुहा ने लगभग 50 साल RISUG, दुनिया की पहली पलटने योग्य पुरुष गर्भ निरोधक दवा विकसित करने में बिताए हैं। RISUG का लक्ष्य वैश्विक गर्भ निरोध विधियों में परिवर्तन लाना है। एक बार का इंजेक्शन जो 10 साल तक प्रभावी रहता है और इसके साइड इफेक्ट्स बहुत कम हैं। 500 से अधिक मानवों पर सफलतापूर्वक परीक्षण के बावजूद, गुहा अब भी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

84 वर्षीय डॊक्टर का सपना साकार होगा?

अब उन्हें अंतर्राष्ट्रीय फार्मा उद्योग और 30 अरब डॉलर के गर्भ निरोधक बाजार से मुकाबला करना है। 84 वर्षीय बायोमेडिकल इंजीनियर (डॉक्टर) अब RISUG परियोजना को आखिरी प्रशासनिक बाधाओं से पार कराने की कोशिश कर रहे हैं। क्या वह अपना सपना साकार कर पाएंगे और दवा को वैश्विक बाजार के लिए मंजूरी प्राप्त करेंगे, इससे पहले कि समय उनके हाथ से निकल जाए?

50 साल के काम के बाद भी गुहा हार मानने को तैयार नहीं हैं। हर रात, वह अपनी मानसिक स्थिति को साफ करने के लिए दौड़ने जाते हैं और अगल दिन समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं। 'The Scientist Who Runs at Night' फिल्म प्रोफेसर गुहा की प्रतिबद्धता और उनके दशकों पुराने संघर्ष को दर्शाती है।

विज्ञान, संघर्ष और सामाजिक प्रभाव की कहानी

सात सालों तक फिल्माया गया ‘The Scientist Who Runs at Night’ डॉ. गुहा की RISUG को दुनिया में लाने के लिए उनके निरंतर संघर्ष को पकड़ता है। यह फिल्म उनके व्यक्तिगत जीवन और पेशेवर लड़ाईयों का दुर्लभ दृश्य प्रदान करती है, जिसमें भारत के जटिल नियामक वातावरण से लेकर वैश्विक चिकित्सा समुदायों से आने वाली शंका तक सब कुछ शामिल है।

फिल्म निर्माता मिथुन प्रमाणिक कहते हैं, “डॉ. गुहा की कहानी असाधारण निर्धारण की है। इस फिल्म के माध्यम से, मैं वैज्ञानिक नवाचार के पीछे की मानवीय भावना और ground-breaking खोजों की कोशिशों में अक्सर नज़रअंदाज किए गए बलिदानों को उजागर करना चाहता था।

शिरोज़ हैंगआउट आगरा से जुड़े हैं फ़िल्म निर्माता/निर्देशक

मिथुन प्रमाणिक ने स्टॊप एसिड अटैक अभियान और शिरोज़ हैंगआउट पर कई डाक्यूमेंट्री बनाई है। फ़िल्म निर्देशक मिथुन का कहना है कि -‘ऐसे मुद्दे जो महिला विषय और जनसंख्या रोकथाम के उन पर बात होनी चाहिए और नये प्रयोगों को समझने जाना चाहिए। बाज़ार को उनको प्रश्रय देना चाहिए। जिस प्रकार महिला गर्भनिरोधक ड्रग बाज़ार में बहुतायत में है, उसी तरह पुरुष  गर्भनिरोधक ड्रग बाज़ार में सामान मात्रा में होनी चाहिए जिससे लिंग समानता को भी बढ़ावा मिलेगा।’

मिथुन प्रमाणिक एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित फिल्म निर्माता हैं जिनकी कृतियां, बीबीसी, अलजजीरा और डीडब्ल्यू जैसे प्रमुख प्लेटफार्मों पर दिखाई गई हैं। ‘The Scientist Who Runs at Night’ पहले ही कनाडाई प्रसारण निगम के फीचर डॉक्यूमेंट्री लाइनअप में जगह बना चुका है  और इसे वन वर्ल्ड मीडिया द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित ग्लोबल शॉर्ट डॉक्स फोरम द्वारा समर्थित किया गया है।

रिसर्च में संघर्ष का सामना करना पड़ता है

डॉ. आशीष कुमार ने फ़िल्म स्क्रीनिंग के बाद कहा कि -‘जब हम सब रिसर्च करते हैं, तब इस तरह के संघर्ष का सामना करना पड़ता है। हम डॉ. गुहा के संघर्ष और प्रयोग को सलाम करते हैं।'

डाक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग के दौरान डॉ. एसके चंद्रा, डॉ. संजना माहेश्वरी, डॉ. प्रशांत लवानिया, डॉ रेखा रानी, डॉ. सुरेंद्र पाठक, डॉ. शिव कुमार, डॉ. आशीष कुमार और एसएन मेडिकल कॉलेज के डॊक्टर मौजूद रहे। अनिल शर्मा, कांति नेगी, असलम सलीमी, रामभरत, सत्यम, डॉ, विजय, आशीष, रोमी चौहान, अभिजीत शिरोज़ टीम से रुकैया,, शबनम और माननी भी मौजूद रहीं।  

 

SP_Singh AURGURU Editor