भागवत कथा में रासलीला और फूलों की होली संग श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह
आगरा। रासलीला केवल नृत्य गीत का प्रसंग नहीं, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की पावन कथा है। कथा व्यास युवाचार्य अभिषेक ने बताया कि जब कोई भक्त प्रभु को अपना सर्वस्व समर्पित कर देता है तभी महारास घटित होता है।

− श्रीबालाजी धाम आश्रम, दयालबाग में चल रही है सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा
दयालबाग स्थित श्रीबालाजी धाम आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा एवं फाल्गुन महोत्सव के षष्ठम दिन श्री रासलीला महोत्सव, श्री कृष्ण रुक्मणि मंगल और फूलों की होली प्रसंग का वर्णन हुआ। मुख्य यजमान कुंती चौहान और दैनिक यजमान सीमा राजपाल ने व्यास पूजन किया। आरती अरविन्द जी महाराज, श्री प्रेमनिधि जी मंदिर नाई की मंडी के मुख्य सेवायत हरिमोहन गोस्वामी, हरिओम यादव, पूर्व विधायक सुबोध यादव, सुनील शर्मा, मनीष अग्रवाल, डॉ अनिल अग्रवाल और अनिल खंडेलवाल भरतपुर ने की।
कथा व्यास युवाचार्य अभिषेक ने श्री रासलीला महात्म्य का वर्णन अपने मधुर कंठ से करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला केवल नृत्य या गीत का प्रसंग नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की गाथा है। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों को बुलाया लेकिन जब गोपियों के भीतर भक्ति का अहंकार जागृत हुआ तो श्रीकृष्णा ओझल हो गए। गोपियों ने गोपी गीत के माध्यम से अपनी भक्ति और प्रेम व्यक्त किया जिससे प्रभु प्रकट हुए और महारास का आयोजन हुआ।
कथा के सातवें दिन विश्राम कथा में भगवान श्री कृष्ण सुदामा मित्रता की अलौकिक कथा का वर्णन किया जाएगा। अरविंद महाराज ने कथा प्रसंग के बाद भागवत कथा का महत्व बताया।
फूलों की होली में झूमे भक्त
भागवत कथा में फूलों की होली ने सभी भक्तों को भाव विभोर करते हुए नृत्य करने पर मजबूर कर दिया। फूलों की होली के बीच भगवान श्री कृष्णा और राधारानी की अलौकिक छवि पर सभी भक्तों ने पुष्प वर्षा कर मंगल गीत गाए। कथा के मध्य हुए सुमधुर 'बिरज में होली खेलन आयो रे नंदलाल सबन को प्यारो..... भजनों पर श्रद्धालुओं ने रासनृत्य किया।