संदेह के घेरे में आने के बाद रोकी गई है भाजपा जिलाध्यक्षों की सूची
आगरा। यूपी में तय हो चुके भाजपा के जिलाध्यक्षों की सूची लेन-देन संबंधी संदेह के घेरे में आने के बाद अटक चुकी है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व ने नये सिरे से जिलाध्यक्षों की सूची तय करने को कहा है। इधर जिलाध्यक्षों की घोषणा में अब इतनी ज्यादा देरी हो चुकी है कि नये अध्यक्षों को लेकर पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी उत्साह ठंडा पड़ गया है। महीनों भागदौड़ करने के बाद जिलाध्यक्ष पद के दावेदार भी शांत होकर बैठ गये हैं। फिलहाल कोई यह बता पाने की स्थिति में नहीं है कि पार्टी अपने जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा कब करेगी।

-प्रदेश से भेजी गई सूची को लेकर लेन-देन की शिकायतें भी शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची हैं
-दो महीने की देरी हो चुकी है जिलाध्यक्ष घोषित करने में, कार्यकर्ताओं का उत्साह ठंडा
ऐसा पहली बार हो रहा है कि भाजपा को अपने जिलाध्यक्षों के नाम तय करने में इतना वक्त लग रहा है। पार्टी के घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार जिलाध्यक्षों का चुनाव 31 दिसंबर 2024 तक पूरा हो जाना था। इस तिथि तक ये काम न हो पाने पर पार्टी नेतृत्व की ओर से नई तारीख 15 जनवरी तय की गई थी। इसी के अनुसार 7 से 10 जनवरी के बीच जिलाध्यक्षों के नामांकन भी दाखिल हो गए थे। 15 जनवरी को जिलाध्यक्षों के नाम घोषित करने हैं, इसी के अनुरूप चुनाव अधिकारियों ने भी नामांकनों की छंटनी कर गंभीर दावेदारों के नाम प्रदेश नेतृत्व को उपलब्ध करा दिए थे।
तीन-तीन नामों के पैनल क्षेत्रीय समिति के स्तर से तय होने थे। यह काम भी कब का किया जा चुका है। इसके बाद कई दौर की बैठकें लखनऊ में चलीं। एक बैठक नोएडा में भी हुई, जिसमें जिलाध्यक्षों के नामों को अंतिम रूप दिया जाना था। तब माना जा रहा था कि अब एक-दो दिन के भीतर जिलाध्यक्षों की सूची सामने आ जाएगी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
उस समय इसकी वजह यह बताई गई थी कि दिल्ली के विधान सभा चुनाव के कारण सूची को रोककर रखा गया है। आठ फरवरी को दिल्ली के विधान सभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। वहां सरकार भी बन गई है। इसके बाद एक महीने से ज्यादा का समय गुजर चुका है, लेकिन पार्टी जिलाध्यक्षों के नाम घोषित नहीं कर पा रही।
अभी दो दिन पहले खबर मिली थी कि भाजपा में यूपी का नया प्रदेश अध्य़क्ष तय करने के लिए माथापच्ची चल रही है। प्रदेश अध्यक्ष को लेकर तो चर्चा शुरू हो चुकी है, लेकिन पार्टी जिलाध्यक्षों के नाम अभी तक सामने नहीं ला पाई है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि प्रदेश से जो सूची केंद्र को उपलब्ध कराई गई, उसे लेकर संदेह पैदा हो गया है। केंद्रीय नेतृत्व तक जिलाध्यक्षों के नाम तय करने में लेन-देन जैसी शिकायतें पहुंची हैं। इसी वजह से दिल्ली के स्तर पर पार्टी जिलाध्यक्षों की घोषणा रोक दी गई है। सूत्र यहां तक बता रहे हैं कि जिलाध्यक्षों के नाम नये तरीके से तय करने की कवायद की जा रही है।
जिलाध्यक्षों के चयन में हो रही देरी की वजह से पार्टी की संगठनात्मक गतिविधियां भी पिछले कई महीने से लगभग ठप जैसी स्थिति में हैं। इस दौरान पार्टी की ओर से जो कार्यक्रम दिए गए, वे भी रस्म अदायगी तक सीमित रहे हैं। वजह यह है कि हर किसी को नये जिलाध्यक्षों के नाम सामने आने का इंतजार है।
जिला और महानगर अध्यक्ष पद के गंभीर दावेदार भी एक-एक दिन एक-एक साल की तरह गुजार रहे हैं। जिन्हें उम्मीद है कि वे ही अध्यक्ष बनेंगे, उनके लिए इंतजार बहुत मुश्किल हो रहा है। इधर आम कार्यकर्ताओं में जिलाध्यक्ष पद को लेकर दो महीने पहले तक जिस तरह की उत्सुकता देखी जा रही थी, वैसी अब नजर नहीं आ रही।