ये बोर्ड परीक्षाएं अब अवैध धन कमाने का जरिया बन चुकी हैं
आगरा। नागरी प्रचारिणी सभा के ‘पुस्तकालय भवन में ‘बोर्ड परीक्षाओं में नकल की प्रवृत्ति एक चुनौतीः कारण एवं निवारण‘ विषयक परिचर्चा में नकल के लिए दोषपूर्ण परीक्षा प्रणाली को जिम्मेदार ठहराया गया। कहा गया कि सही बात तो यह है कि यूपी में बोर्ड परीक्षाएं अवैध कमाई का जरिया बन चुकी हैं।

परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा कि नकल का खेल परीक्षा-केन्द्र निर्धारण से शुरू होता है। जब मोटी-मोटी रकम लेकर दागी विद्यालयों को परीक्षा केन्द्र बनाया जायेगा तो बोर्ड परीक्षा में नकल रोकना कतई सम्भव नहीं है। दागी विद्यालयों के संचालक परीक्षा केंद्र तय कराने को मोटी रकम इसीलिए खर्च करते हैं ताकि परीक्षाओं में नकल कराकर कमाई कर सकें।
वक्ताओं ने कहा कि नकल की यह प्रवृत्ति अत्यन्त चुनौतीपूर्ण एवं इतनी अधिक भयावह हो गयी है कि बोर्ड परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए अतिरिक्त केन्द्र व्यवस्थापक, सचल दल, पर्यवेक्षक, स्टेटिक मजिस्ट्रेट, सेक्टर मजिस्ट्रेट, जोनल मजिस्ट्रेट की नियुक्तियां करनी पड़ती हैं। यही नहीं, बोर्ड के प्रश्न पत्रों को डबल लॉकर में सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में रखने पड़ते हैं। पुलिस फोर्स अलग से तैनात करना पड़ता है।
इतनी सारी व्यवस्थाओं के बावजूद निर्धारित समय से पहले पेपर आउट कराना, फर्जी परीक्षार्थियों से परीक्षा दिलाना, बाहर से लिखी उत्तर पुस्तिकाओं को बंडलों में रखना, गैर शिक्षकों की कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी लगाना और कक्ष निरीक्षकों द्वारा बोल-बोल कर नकल कराने जैसी गतिविधियां हो जाती हैं। इससे बोर्ड परीक्षा की पवित्रता, विश्वसनीयता तथा गोपनीयता तार-तार हो जाती है।
परिचर्चा में इस बात पर जोर दिया गया कि बोर्ड परीक्षाओं में नकल कराने वाले माफिया के नेटवर्क को तोड़ने की जरूरत है। कक्ष निरीक्षकों में सुरक्षा का भाव पैदा करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। केंद्र निर्धारित करते समय ही ध्यान दिया जाए तो संवेदनशील और अति संवेदनशील केंद्र जैसी बातें ही सामने नहीं आएंगीं।
वक्ताओं में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश की प्रदेश कार्यसमिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार, पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह, महासंघ के जिला समन्वयक डॉ. केपी सिंह, परिचर्चा के संयोजक मनोज कुमार, शिक्षक नेता डॉ. सत्य प्रकाश शर्मा, जिला प्रभारी डॉ. गिरीश त्यागी, राजीव सक्सेना, मान सिंह, कुसुम शर्मा, मनोज वशिष्ठ, अनिल अरोरा संघर्ष, डॉ. योगेन्द्र सिंह, सुधीर कुमार कुलश्रेष्ठ, फूल सिंह सिकरवार आदि प्रमुख थे। अध्यक्षता डॉ. देवी सिंह नरवार और संचालन मनोज कुमार ने किया।