विश्व मैत्री मंच की काव्य चौपाल में विचारोत्तेजक कविताएं पढ़ी गईं
आगरा। उत्तर प्रदेश विश्व मैत्री मंच की काव्य चौपाल बहुत ही शानदार रही। बहनों ने यह शाम अपनी विचारोत्तेजक और भावभीनी कविताओं से यादगार बना दी।

अलका ने पुरुष की दूषित मानसिकता पर व्यंग्यात्मक प्रहार किया और नारी को उसके मर्दन हेतु आक्रामक काली की भूमिका में आ अपनी अस्मिता की रक्षा हेतु प्रेरित किया।आपके स्वर के उतार-चढ़ाव और मुद्राओं की सबने मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
मीता माथुर ने रोटी की महिमा का बखान किया और एक व्यंग्यात्मक कविता में आदमी की गिरावट को उजागर किया। सविता मिश्रा की कविताओं में प्रकृति का सूक्ष्म निरीक्षण और मानवीकरण अत्यंत सराहा गया। डॉ.रेखा कक्कड़ ने ‘वासन्ती हवाएं कुछ-कुछ गाएं ‘सुना कर वातावरण में वासन्ती रंग और रस घोल दिया।
पूनम ज़ाकिर ने ‘रह जाता है कुछ-कुछ अधूरा ‘शीर्षक कविता में जीवन की वास्तविकता का चित्र खींच दिया। डॉ.गीता यादवेन्दु ने प्रिय की उदासीनता और उपेक्षा से आहत मन का अत्यंत कारुणिक दृश्य उपस्थित कर वातावरण में गंभीरता घोल दी और फिर नयी पीढ़ी के अधिकारों की तर्कसंगत वकालत की।
डॉ.सुषमा सिंह ने अपनी छन्दमुक्त कविताओं में प्रकृति के जीवन क्रम को बड़े आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया और परिधानों के प्रदर्शन की वस्तु में परिणत हो जाने पर अपना क्षोभ व्यक्त किया। कुछ ग़ज़लनुमा सी रचनाओं में मित्र और मित्रता की विशेषताओं को रेखांकित किया।
प्रान्तीय अध्यक्ष साधना वैद ने सप्तपदी के महत्व को अत्यंत सटीक ढंग से समझाया। नारी के श्रृंगार का सुंदर प्रतीकात्मक वर्णन किया और ‘मां मुझको भी रंग दिला दो’ कविता में प्रत्येक रंग के महत्व और उपयोग पर प्रकाश डाल कर सभी का ज्ञानवर्धन किया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ.शशि सिंह ने सभी सहभागियों की कविताओं की सराहना करते हुए उनकी विशेषताओं का उल्लेख किया और अपनी कविताओं में निरंतर प्रदूषित होते पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया। मेजबान डॊ. सुषमा सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।