आगरा बनता रहा है पाकिस्तान की साज़िशों का निशाना, इतिहास गवाह है

ताजमहल के लिए प्रसिद्ध आगरा केवल पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी बेहद संवेदनशील शहर रहा है। बीते दशकों में यहां से कई बार पाकिस्तानी जासूसों की गिरफ्तारी हुई, जिससे स्पष्ट होता है कि यह शहर विदेशी ताकतों की नजरों में लंबे समय से रहा है। वायुसेना अड्डे, सैन्य छावनी और खुफिया गतिविधियों के चलते आगरा को लेकर राष्ट्रीय सतर्कता अत्यंत आवश्यक है।

May 27, 2025 - 12:16
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आगरा बनता रहा है पाकिस्तान की साज़िशों का निशाना, इतिहास गवाह है
पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार की गई ज्योति मल्होत्रा, जो आजकल बहुत चर्चा में है।

 -डॉ. सिराज कुरैशी-

आगरा। विश्व धरोहर ताजमहल का शहर आगरा न केवल पर्यटन का केंद्र रहा है, बल्कि दशकों से विदेशी ताकतों, विशेषकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के लिए एक संवेदनशील और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान बना हुआ है। भारतीय वायुसेना का अड्डा, सेना की छावनी और ऐतिहासिक आगरा क़िला इस शहर को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से अहम बनाते हैं।

हाल ही में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के खिलाफ़ कथित जासूसी की जांच ने आगरा की खुफिया पृष्ठभूमि को एक बार फिर उजागर कर दिया है। ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी से शुरू हुआ जासूसों की गिरफ्तारी का सिलसिला अभी भी चल रहा है, जिनकी संख्या एक दर्जन के पार जा चुकी है।

आगरा की कई महत्वपूर्ण जगहों से जुड़े किसी भी जासूसी प्रयास का सफल होना देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। यह बात इसलिए की जा रही है कि अतीत में आगरा से तमाम जासूस पकड़े जा चुके हैं।

ऐतिहासिक जासूसी घटनाएं

-11 अगस्त 1951: चटगांव (अब बांग्लादेश) के इब्राहीम को नक्शों व नोटों के साथ पकड़ा गया। इसी मामले में ताजगंज से शेख अब्दुल और शेख कल्लू भी गिरफ्तार हुए।

- वर्ष 1951: अछनेरा से इंशा अल्लाह ख़ान, फिरोजाबाद से सैयद उबैद, मसूद और बशीर अहमद को पकड़ा गया।

-28 जुलाई 1951: आगरा में सीओडी परिसर में कुली के वेश में पाकिस्तानी सेना अधिकारी, छावनी से दो जासूस, और छत्ता थाना क्षेत्र से अकील उर्फ बटलर गिरफ्तार किया गया।

- वर्ष 1952: क़बूल ख़ान साधु वेश में एयरबेस के पास जासूसी करते हुए पकड़ा गया।

- 1953: इटावा से राशनिंग अधिकारी मियां साबरी के पास वायरलेस सेट मिला।

-1960-63: रक्षा उपमंत्री और प्रधानमंत्री द्वारा संसद में वायुसेना अधिकारियों की बर्खास्तगी की जानकारी दी गई।

-1971: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के क्लर्क की गिरफ्तारी।

-1982: नौसेना के फोटोग्राफर पर मुक़दमा।

-6 दिसंबर 1983: मेजर जनरल समेत तीन रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी, जो तब का सबसे चर्चित मामला रहा।

नागरिकों हर गतिविधि पर नजर रखें

तकनीक और सोशल मीडिया के युग में जासूसी के तौर-तरीके भले बदल चुके हैं, इसलिए खतरे को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। इसी के मद्देनज़र, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों और नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे हर गतिविधि पर सतर्क दृष्टि बनाए रखें।

पाकिस्तान भारत के सामने पूरी तरह असफल हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो कहा, वह अब तक करके दिखाया है और अब राष्ट्र की एकमात्र नीति यही है, पाकिस्तान को मिट्टी में मिलाना। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भी शीघ्र भारत के नियंत्रण में आएगा।

SP_Singh AURGURU Editor