हादसे में पीठ पर लकवे का शिकार ‘बानी’ अब खड़ी होने लगी है
आगरा। साल भर पहले दुर्घटना में घायल होने पर गंभीर अवस्था में मथुरा स्थित हाथी अस्पताल में लाई गई बानी नामक हथिनी के स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। बानी अब 21 महीने की हो चुकी है।

पशु चिकित्सकों और देखभाल करने वाली वाइल्डलाइफ एसओएस टीम के प्रयासों के फलस्वरूप बच्ची बानी चमत्कारिक रूप से ठीक हो रही है। स्पास्टिक पैरापैरेसिस, या पीठ और पिछले अंगों में सीमित गतिशीलता से पीड़ित, संस्था की पशु चिकित्सा टीम ने बानी को ठीक होने में मदद करने के लिए आयुर्वेद, हाइड्रोथेरेपी और यहां तक कि एक्यूपंक्चर सहित कई उपचार विधियों का प्रयोग किया है।
उल्लेखनीय रूप से, कई हफ्तों की तेल मालिश और हाइड्रोथेरेपी पूल के उपयोग के बाद, बानी आखिरकार खड़ी होने में सक्षम हो गई है। वह अब कम दूरी तक चलने और अपने आस-पास की हरियाली को जानने में सक्षम हो गई हैl हालांकि, बानी की चाल असामान्य है, जो उसके चलने की दूरी को सीमित कर देती है। वर्तमान में बानी के पैरों की सुरक्षा के लिए उसे पिछले पैरों में खासतौर पर बनाए गए जूते भी पहनाए जाते हैं।
बानी की कहानी और उसकी स्थिति रेलवे लाइनों और ट्रेन दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, वाइल्डलाइफ एसओएस ने याचिका (http://wildlifesos.org/trains) की शुरुवात की है जिसकी मदद से भारतीय रेलवे से अपील की गई है कि हाथियों की सुरक्षा के लिए जंगलों में ट्रेन की गति कम करने और संवेदनशील क्षेत्रों में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग करने जैसे उपाय लागू किए जाएं।
वाइल्डलाइफ एसओएस की पशुचिकित्सा सेवाओं के उप निदेशक, डॉ. इलियाराजा ने बताया कि हमने बानी के लिए कई रचनात्मक एनरिचमेंट तैयार किए हैं, ताकि उसकी मांसपेशियां लगातार सक्रिय रहें और उसके चलने-फिरने में कोई रुकावट न हो।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि बानी अपनी देखरेख करने वाले और वाइल्डलाइफ एसओएस स्टाफ के साथ एक विशेष बंधन साझा करती है। उसकी ताकत हमारे सभी निवासी हाथियों के लिए प्रेरणा बन गई है। वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव गीता शेषमणि ने कहा, “हमें यह देख कर बहुत ही खुशी हो रही है कि बानी ने हमारी देखरेख में एक साल पूरा कर लिया है।