प्रभु मिलन की तड़पन तो पैदा करो, मिलेंगे क्यों नहीं- राजन महाराज

आगरा। बल्केश्वरनाथ महादेव भक्त मंडल द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के पंचम और षष्ठम सत्र में कथा वाचक राजन जी महाराज द्वारा धनुष भंग और श्रीराम विवाह का प्रसंग सुनाया गया। इस दौरान खूब फूल बरसाए गए और जयघोष से वातावरण गुंजायमान हो गया।

Feb 23, 2025 - 20:32
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प्रभु मिलन की तड़पन तो पैदा करो, मिलेंगे क्यों नहीं- राजन महाराज

धनुष टूटते ही हुई पुष्पों की वर्षा, गूंज उठे जयघोष 

 बलकेश्वर महादेव मंदिर में हो रही इस कथा में राजन जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति में प्रभु के दर्शन की तड़पन तो होती नहीं, फिर कहते हैं कि ईश्वर नहीं मिलते। स्वामी रामकृष्ण परमहंस को तीन दिन में ही माता काली ने दर्शन दे दिए थे। क्योंकि वे कोलाकाता में काली माता के मंदिर के सामने बालू में तीन दिन तक पड़े रहे थे। जिससे उनके शरीर में छाले पड़ गये थे। उनकी कठिन तपस्या देख कर काली माता को दर्शन देने पड़े थे। 

कथा व्यास ने कहा कि माता शबरी दस हजार साल तक रामा-रामा रटती रहीं थी, तब दर्शन हो पाए थे। उन्होंने कहा कि हमें तो प्रभु को पुकारना है, आना तो उनका काम है। 

गुरु विश्वामित्र के प्रति भगवान श्रीराम की श्रद्धा की चर्चा करते हुए राजन जी ने कहा कि आज कल माता-पिता ने बच्चों को डांटना बंद कर दिया है, यह गलत है। यह बच्चे का सौभाग्य होता है कि उसको कोई डांटने वाला तो है। उन्होंने कहा कि भय के बिना जीवन आकार नहीं लेता। कुंभकार जब घड़े को बनाता है तो ऊपर से थपकी मारता जाता है, लेकिन दूसरा हाथ उसे सहारा देता है। यानि माता-पिता डांटते हैं तो पुचकारते भी जरूर हैं। 

राजन जी ने कहा कि बच्चों में बचपन से ही संस्कार डालने चाहिए। बच्चों को सिखाना चाहिए कि वे सभी का आदर करें। चाहे कोई भी किसी जाति, धर्म का हो। जब भी आप तीरथ जाएं, तो बच्चों से दान-पुण्य करवाएं, ताकि जीवन भर आपके सिखाए उपदेशों का अनुसरण करेगा। 

मुकेश सिंघल, मुकुंद सिंघल, हरीश कुमार, संतोष शर्मा, ललिता शर्मा, ऋषि अग्रवाल आदि ने पूजन कराया। संचालन रमन अग्रवाल ने किया। 

भगवान राम धनुष तोड़ने नहीं गये थे

उठहु राम भंजहु भव चापा, 

मेटहु तात जनक परितापा । 

राजन जी ने कहा कि श्रीराम जनकपुरी में धनुष तोड़ने नहीं गए थे, वे तो अपने गुरु विश्वामित्र जी के साथ धनुष यज्ञ देखने गए थे। जब कोई भी राजा धनुष भंजन नहीं कर पाया तो विश्वामित्र जी के आदेश पर श्रीराम ने धनुष तोड़ा था। इस प्रकार श्रीराम ने दो काम किए। एक तो गुरु की आज्ञा का पालन किया, दूसरे राजा जनक के परिताप को दूर किया था। क्योंकि धनुष टूट न पाने के कारण राजा जनक का हृदय बहुत दुखी था। 

उन्होंने कहा कि धनुष टूटने की ध्वनि तीन लोक तक गूंजी थी, जिसे तपस्या कर रहे भगवान परशुराम ने भी सुन लिया और वे जनक महल चले आए थे। आकर वे क्रोधित हुए थे। लखन और परशुराम में संवाद भी हुआ था। जिसे शांति पूर्वक श्री राम ने शांत किया था। राजन जी महाराज ने विवाह के प्रसंग को भी सजीवता के साथ सुनाया। 

नृत्य न कोई झांकी

बल्केश्वर मंदिर में जब भी कथा होती है तो उसमें पूरी तरह अनुशासन कायम रहता है। न तो किसी को नृत्य करने की अनुमति होती है, न कोई झांकी निकाली या दिखाई जाती। विभिन्न प्रसंगों पर केवल चित्र का पूजन कराया जाता है। आज भी राम-सीता विवाह का दृश्य न दिखा कर, उसके चित्र का पूजन यजमानों द्वारा किया गया।

कल भी होंगे दो सत्र

सोमवार को भी श्रीराम कथा दो सत्रों में श्रवण कराई जाएगी। प्रातः नौ बजे से केवट प्रेम और शाम चार बजे से श्री राम मंगल यात्रा का प्रसंग सुनाया जाएगा।