दूसरों को स्वस्थ रखने वाले डॊक्टर खुद गंभीर हालातों से जूझ रहे
आगरा। अपने मरीजों को स्वस्थ रखने वाले भारतीय डॉक्टर्स सामान्य लोगों से औसत जीवनकाल से लगभग 10 वर्ष कम जी रहे हैं। इसका कारण अधिक कार्य के कारण पूरी नींद न ले पाना, तनाव से कार्टीशाल का बढ़ता प्रवाह, तनाव से हृदय जनित विकार हैं।

सिकन्दरा बोदला डॉक्टर्स एसोसिएशन और मैक्स हॉस्पिटल नोएडा द्वारा होटल भावना क्लार्क्स में आयोजित सीएमई (कन्टीन्यू मेडिकल एजुकेशन) में यह बातें सामने आईं। सीएमई में नकारात्मकता, तनाव और नींद पूरी न होने जैसे कारणों का भारतीय डॉक्टरों के जीवन पर पड़ रहे दुष्प्रभावों पर चर्चा की गई।
सीएमई में डॊक्टरों पर हुए सर्वे का हवाला देते हुए बताया गया कि 82 प्रतिशत डॉक्टर पेशे में तनाव महसूस करते हैं। 76 प्रतिशत डॊक्टर चिन्ता के लक्षणों को स्वीकारते हैं। 56 प्रतिशत डॊक्टर सात घंटे की आरामदायक नींद भी नहीं ले पाते।
सर्वे के अनुसार 75 प्रतिशत डॊक्टरों ने काम पर किसी न किसी रूप में हिंसा का अनुभव भी किया। 46 प्रतिशत डॊक्टरों को लगता है कि हिंसा ही तनाव का मुख्य कारण है। 45 प्रतिशत डॊक्टरों ने भावनात्मक थकान बर्नआऊट को स्वीकार किया। 87 प्रतिशत चिकित्सक व्यक्तिगत उपलब्धि के पैमाने पर खुद को कम आंकते हैं।
इस कार्यक्रम का शुभारम्भ आईएमए अध्यक्ष डॉ. अनूप दीक्षित, सिकंदरा बोदला डॊक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डाक्टर पंकज नगायच, सचिव डॉ मुकेश, साइंटिफिक सचिव डॉ. ज्योति, कोषाध्यक्ष डॉ. अमित, डॉ. योगेश, डॊ.अर्चना, डॊ.अंजना सहित वरिष्ठ डॉक्टरों ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल नोएडा के डॉ. सुदीप ने मैनेजमेंट ऑफ बीपीएच विद इम्फेसिस व नई तकनीक के विषय में विस्तार से जानकारी दी। डॉ. अतुल शर्मा ने यूरो ऑंकोलॉजी के एडवांस व नई तकनीक के बारे में डॉक्टरों को अवगत कराया।
एसएन मेडिकल कालेज के सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रशान्त लवानिया ने सर्जरी की नई विधाओं पर जानकारी देते हुए मरीजों के दृष्टिकोण से उसके लाभ बताए। इस अवसर पर मुख्य रूप से सिकन्दरा बोदला डॉक्टर्स एसोसिएशन के सदस्य उपस्थित थे।