aurguru news: ऐसे ही चला तो बच्चे पैदा नहीं कर पाएंगे हमारे युवा
आगरा। देश के युवाओं में प्रजनन दर में कमी आ रही है। 1950 में जो प्रजनन दर प्रति महिला 6.18 थी, 2021 में वह घटकर 1.91 हो गई है।

अनुसार 2050 तक यह दर घटकर 1.3 रह जाएगी। हालांकि इस समस्या का कारण महिलाएं नहीं वरन पुरुषों मे शराब, तंबाकू का सेवन, तनाव, अनियमित जीवन शैली और कम नींद का लेना बताया जाता है।
युवाओं में शुक्राणुओं की संख्या में कमी आ रही है। इसका सीधा असर उनके वैवाहिक जीवन पर पड़ रहा है। चिकित्सक इसका प्रमुख कारण आज की जीवन शैली, तनाव, शराब व तंबाकू का नियमित प्रयोग बताते हैं। जीवनशैली में बदलाव कर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
प्रख्यात एंड्रोलाजिस्ट डा. अरुण तिवारी का कहना है कि युवाओँ की प्रजनन क्षमता में कमी के मामले आज से दस साल पहले की तुलना में काफी बढ़ गए हैं। डा. तिवारी के अनुसार एक स्वस्थ युवा के वीर्य में कम से कम 15 मिलियन शुक्राणु होने चाहिए. एक एमएल वीर्य में कम से कम 10 मिलियन शुक्राणु होने चाहिए। इस संख्या में कमी आ रही है। इसका प्रमुख कारण व्यायाम न करना, कम नींद लेना, काम का तनाव तथा स्मोकिंग, तंबाकू का सेवन तथा नियमित रूप से शराब का सेवन करना है। डा. तिवारी का कहना है कि स्मोकिंग या गुटखे के सेवन से शुक्राणुओँ की संख्या में तो कमी आती ही है साथ ही शुक्राणु के डीएनए में बदलाव आ जाता है इसका सीधा असर प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। डीएनए में बदलाव आने पर पैदा होने वाले बच्चे में जेनेटिक डिफेक्ट भी हो सकता है। स्मोकिंग छोड़ने के एक साल में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ जाती है।
नियमित रूप से अधिक शराब पीने वाले पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या तथा गुणवत्ता में कमी होने के साथ ही टेस्टेटरान हारमोन का स्तर कम हो जाता है। टेस्टिकल्स को नुकसान पहुंचता है तथा काट्रिसाल लेबल बढ़ जाता है। अधिक शराब का सेवन पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफ्कंशन की समस्या को भी जन्म देता है, जिसका सीधा असर प्रजनन क्षमता तथा वैवाहिक जीवन पर होता है।
नेशनल सेंटर फार बायोटेक्नोलाजी इनफारमेशन में हुए अध्ययन के अनुसार कारपोरेट कल्चर में होने वाला स्ट्रेस भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। स्ट्रेस के कारण लोग अधिक सिगरेट तथा शराब का सेवन करने लगते हैं जिसका असर उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ता है।