केजरीवाल अब बाहर हैं, हरियाणा की लड़ाई रोचक होगी
चंडीगढ़। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद हरियाणा के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ सकती है। जिस प्रकार से कांग्रेस ने गठबंधन के मामले में आप को ठेंगा दिखाया है, उससे केजरीवाल निश्चित रूप से तमतमाए हुए होंगे और वे इसका जवाब देने की कोशिश जरूर करेंगे।

हरियाणा में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच चुनावी गठबंधन को लेकर कई दौर की बातचीत हुई। यह वार्ता उस समय हुई जब अरविंद केजरीवाल जेल में थे आप की ओर से सांसद राघव चड्ढा और संजय सिंह कांग्रेस के नेताओं से लगातार वार्ता कर रहे थे। समझौते में आप की ओर से 10 सीटें मांगी जा रही थीं, लेकिन कांग्रेस तीन से ज्यादा सीटें देने के लिए तैयार नहीं थी। कांग्रेस ने जब एकतरफा अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी तो फिर आम आदमी पार्टी ने भी अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करना शुरू कर दिया था। नामांकन की अंतिम तिथि तक दोनों पार्टियों की ओर से सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किये जा चुके थे।
हरियाणा कांग्रेस के नेता प्रारंभ से ही मानकर चल रहे हैं कि उन्हें यह चुनाव जीतने के लिए किसी से भी गठबंधन करने की जरूरत नहीं है, लेकिन कांग्रेस हाईकमान की ओर से यह सोचकर आम आदमी पार्टी से वार्ता की जा रही थी कि आम आदमी पार्टी के अलग लड़ने पर वोटो का बंटवारा होने का भाजपा को लाभ न मिल सके। कई दौर की बातचीत के बाद भी दोनों दलों के बीच सीटों के तालमेल को लेकर सहमति नहीं बन सकी थी।
बीते कल एकाएक अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली और वह दोपहर बाद जेल से बाहर आ गए। केजरीवाल के बाहर आते ही हरियाणा का चुनाव और रोचक हो सकता है क्योंकि केजरीवाल कांग्रेस द्वारा गठबंधन न करने से आहत होकर कांग्रेस पर पलटवार भी कर सकते हैं।
आपको बता दें गठन के बाद से अब तक आम आदमी पार्टी ने जो भी सफलता हासिल की है, वह कांग्रेस के वोट काटकर ही हासिल की है।
हालांकि कांग्रेस के लिए राहत की बात यह है कि आम आदमी पार्टी के लिए इस समय कांग्रेस से ज्यादा बड़ी दुश्मन भारतीय जनता पार्टी है।