सुख के साथ शांति होने पर ही जीवन सुंदर बनता है

आगरा। जीवन में अवसर दो बार नहीं मिलते। जो अवसर मिले, उसको गंवा न देना। हनुमान जी को एक अवसर मिला प्रभु सेवा का, उसका परिणाम है कि आज हम हनुमान जी की कथा कह-सुन रहे हैं। सुंदर काण्ड हनुमान जी की सफलता का कांड है। जब वह लंका के लिए उड़े, तब वे  डरपोक और भगोड़े राजा सुग्रीव के मंत्री भर थे, लेकिन जब लंका जलाकर श्री राम जी के पास लौटे तो विराट स्वरूप में थे।

Feb 26, 2025 - 19:57
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सुख के साथ शांति होने पर ही जीवन सुंदर बनता है
आरबीएस कॊलेज सभागार में श्री हनुमत त्रिवेणी कथा में दूसरे दिन सुंदर कांड की कथा सुनाते संत विजय शंकर मेहता महाराज।

-सुंदर काण्ड की कथा और सार गर्भित व्याख्या प्रस्तुत की संत विजय शंकर मेहता महाराज ने 

श्री हनुमत त्रिवेणी कथा के दूसरे दिन आरबीएस कॉलेज के सभागार में संत विजय शंकर मेहता महाराज ने सुंदरकाण्ड की कथा सुनाते हुए ये व्याख्यान दिया। यह कथा श्री हरि सत्संग समिति द्वारा आयोजित की गई है।

संत विजय शंकर मेहता महाराज ने कहा कि आप भरोसे से कथा सुनिए भरोसे का दूसरा नाम है भगवान। हरेक के जीवन में कुछ न कुछ चल रहा है, आज ही संकल्प लें कि उचित को जीवन में स्थान देना है, अनुचित को निकाल बाहर फेंकना है। उन्होंने कहा, जीवन सुंदर तब बनता है जब सुख के साथ शांति भी हो। याद रखें, ये शांति आदमी को खुद ही अर्जित करनी पड़ती है।

उन्होंने कहा कि सुंदर काण्ड हनुमान जी को पाने का कांड है। लक्ष्य की ओर एकाग्रचित्त होकर आगे बढ़ना आप हनुमान जी से सीखिए। जिन्होंने कि लंका जाते हुए बीच में पर्वत पर विश्राम के आग्रह को भी यह कहकर अस्वीकार कर दिया था कि-"राम काज कीजे बिना मोहि कहां विश्राम!"

हनुमान जी के लंका दहन के प्रसंग का वर्णन करते हुए संत ने "सोने की लंका जराइ गयो रे एक छोटो सो वानर, रावण को पानी पिलाए गयो रे एक छोटो सो वानर.." भजन सुनाया, जिस पर भक्त भाव विभोर हो उठे।

महाराज श्री ने कहा कि किसी भी घर में जाओ, पांच सदस्य अगर ड्राइंग रूम में बैठे होंगे तो सब मोबाइल में घुसे होंगे कोई आपस में संवाद नहीं कर रहा होता। ये संवादहीनता खतरनाक दिशा में ले जाएगी। हमारा देश दुनिया की बहुत बड़ी शक्ति बनने जा रहा है लेकिन परिवारों के ऊपर जल्द ही संकट आने वाला है। अमेरिका में जो पारिवारिक विघटन हो रहा है, वही भारत में होता दिखेगा।

उन्होंने कहा कि घर के दरवाजे पर शुभ चिह्न लगाइए, कुत्तों से सावधान रहने का बोर्ड नहीं। घर में तुलसी का पौधा जरूर लगाएं और रोज शाम घर की बहन-बेटी उसके आगे दीपक जलाए।

बुजुर्गों को गले लगाइए

संत विजय शंकर मेहता महाराज ने बुजुर्गों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, जब भी कोई बड़ा काम करने जाएं तो घर के बड़े-बूढ़े को सबसे पहले साथ लेकर चलें, सफलता तभी आपके कदम चूमेगी। आज के दौर में बुजुर्ग उपेक्षा के शिकार हैं। अकेलेपन में हैं। उनको फिजियोथेरेपिस्ट दिया है, नर्स भी दे दी सेवा करने को, लेकिन उनका खुद का बेटा या बेटी जब तक उनको गले न लगाएंगे तब तक उनका कोई भी दुख दूर नहीं हो सकता। अपने घर के बुजुर्गों से अकारण ही बातचीत जरूर करो उनकी सेवा करके देखो, परमात्मा आपको वो सब कुछ दे देगा, जो आप चाहते हो।

संत विजय शंकर मेहता महाराज ने श्री हरि सत्संग समिति के वनवासियों के लिए किए जा रहे सेवा कार्यों को भी बीच-बीच में उल्लेखित करते हुए सराहा।

कथा में ये रहे मौजूद

कथा में मौजूद प्रमुखजनों में श्री हरि सत्संग समिति के अध्यक्ष शांति स्वरूप गोयल, सुनील अग्रवाल (फ्रेंड्स), रामलीला कमेटी के महामंत्री राजीव अग्रवाल, प्रवास संयोजक प्रवीण सिंघल, अभिनय अग्रवाल, संजय गोयल, संजय मित्तल, टीएन अग्रवाल, राहुल हुंडी, उमेश बंसल, भगवान दास, विष्णु दयाल बंसल, उमेश कंसल आदि शामिल थे।

SP_Singh AURGURU Editor