वक्फ बिल को लेकर समर्थन और विरोध में आगरा से भेजे गए ढेरों सुझाव, 13 है अंतिम तारीख
वक्फ बिल को संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जनता से मांगे सुझावों के तहत आगरा से भी बड़ी संख्या में लोगों ने जेपीसी के पास अपने सुझाव भेजे हैं। सुझाव दो ही तरह के हैं, वक्फ बिल को खत्म किया जाए और वक्फ बिल को लागू किया जाए।

आगरा। केंद्र सरकार के नये वक्फ बिल को लेकर संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जनता से मांगे सुझावों के अंतर्गत आगरा से भी बड़े पैमाने पर लोगों ने सुझाव दिए हैं। मुस्लिम संगठनों की ओर से तो इसके लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाया गया। इधर हिंदूवादी संगठनों की ओर से लोगों को मोबाइल पर संदेश भेजकर कहा गया कि जेपीसी में सुझाव देने की दस सितम्बर आखिरी तारीख है। लोगों को वक्फ बिल पर सुझाव का एक संदेश भी भेजा गया, जिस पर अपना नाम लिखकर जेपीसी को भेजने की अपीलें की जाती रहीं। इसी तरह के प्रयास वक्फ बिल का विरोध करने वाले पक्ष के लोगों के बीच होता रहा।
दोनों ही ओर से पूरे दिन यह अभियान जोर-शोर से चला। अभी यह बताना मुश्किल है कि आगरा से कितने लोगों ने जेपीसी के पक्ष अपने सुझाव भेजे हैं, लेकिन इतना जरूर पता चला है कि मुस्लिमों ने जहां वक्फ बिल को खारिज करने का सुझाव दिया है तो हिंदू पक्ष ने वक्फ बिल को लागू करने की वकालत की है। जेपीसी में सुझाव भेजने की अंतिम तारीख को लेकर भी भ्रम की स्थिति रही। हिंदू संगठनों की ओर से भेजे जा रहे संदेशों में सुझाव देने की तारीख दस सितंबर बताई जा रही थी जबकि असलियत में जेपीसी ने इसके लिए अंतिम तारीख 13 सितंबर है।
इसी क्रम में श्री क्षेत्र बजाजा कमेटी के संरक्षक एवं हेल्प आगरा के संस्थापक अध्यक्ष अशोक कुमार गोयल ने जेपीसी (वक्फ अमेंडमेंट) के चेयरमैन सांसद जगदंबिका पाल को एक पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि वक्फ बोर्ड के स्थान पर भारत विकास बोर्ड का गठन किया जाए। इस बोर्ड में वक्फ की सभी संपत्तियों के साथ-साथ देश की निरुपयोगी और समस्त विवादग्रस्त संपत्तियों को अधिग्रहीत किया जाए। इन संपत्तियों का देश के विकास में उपयोग किया जाए। पत्र में श्री गोयल ने कहा है कि पूरे देश में वक्फ बिल को लेकर चर्चाएं आम हैं और सभी राष्ट्रवादी नागरिक इसके प्रति संवेदनशील हैं। वक्फ बोर्ड के नाम पर अभी जो खुले आम दादागिरी चल रही है, उस पूर्णतया रोक लगाई जानी चाहिए।