aurguru news जिन्हें सभी घृणा भाव से देखते थे, सत्यमेव जयते ने उनका हुलिया बदल दिया!
आगरा। समाज के लिए कुछ करने का भाव हो तो रास्ते खुद ब खुद बन जाते हैं। जरूरी यह है कि मन में सेवाभाव हो।
महानगर में कुछ समय से सेवा कार्यों में रत सामाजिक संगठन सत्यमेव जयते ट्रस्ट कुछ ऐसा काम कर रहा है, जिसकी ओर कभी किसी का ध्यान नहीं गया। ये काम है स्वच्छता का। इंसानों की स्वच्छता का। जिन्हें हम भिखारी अथवा अर्द्धविक्षिप्तावस्था के रूप में बहुत गंदे हालत में सड़कों पर भटकते देखते हैं, उन्हीं भिक्षुकों व अन्य की शेविंग और हेयर कटिंग की सेवा का काम सत्यमेव जयते वर्ष 2021 से कर रहा है। यह सेवा प्रकल्प बीते 22 जून से चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस सेवा प्रकल्प के जरिए पिछले तीन सालों के अंदर एक बड़ा बदलाव यह देखने को मिला है कि भिक्षुकों के अंदर भी साफ सुथरा रहने की ललक पैदा हुई है।
सत्यमेव जयते ट्रस्ट के अध्यक्ष मुकेश जैन के मन में वर्ष 2021 में यह सेवा प्रकल्प शुरू करने का भाव तब जागृत हुआ जब वे ट्रस्ट द्वारा संचालित निःशुल्क भोजन वितरण के लिए अपनी टीम के साथ सरकारी अस्पतालों, मंदिरों के बाहर और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर पहुंचते थे। प्रायः देखा जाता था कि खाद्य सामग्री प्राप्त करने वाले अधिकांश लोगों की दाढ़ी और सिर के बाल बहुत बड़े और धूल धूसरित होते थे। किसी-किसी का तो चेहरा भी डरावना सा लगता था। यह स्थिति दूसरे संगठनों द्वारा संचालित निःशुल्क भोजन सेवा प्रदान करने वाले केन्द्रों पर भोजन के लिए आने वाले भिक्षुकों और अन्य गरीब लोगों की भी देखी जाती थी। सिर में जुएं चलती दिखती थीं। शरीर से बदबू आती थी। इन्हें देख घृणा के भाव पैदा होते थे। आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों के चेहरे पहचानने में नहीं आते थे। शहर की सड़कों से गुजरते देशी-विदेशी पर्यटकों की नजर में देश की छवि खराब पेश होती थी।
मुकेश जैन बताते हैं, स्वच्छता में ही ईश्वर का वास होता है। इससे सकारात्मक भाव जागृत होते हैं। स्वच्छ रहने से बीमारी भी नहीं घेरती। आमजन का जीवन सुखमय बनता है। इसी सोच के साथ उन्होंने तय किया कि गंदे दिखने वाले लोगों की शेविंग एवं हेयर कटिंग के लिए सेवा प्रकल्प शुरू करें। सत्यमेव जयते ट्रस्ट से जुड़े लोगों को भी सेवाभाव यह काम पसंद आया। अब सवाल था कि इन लोगों तक कैसे पहुंचा जाए। ट्रस्ट ने सबसे पहले हेयर कटिंग कारीगरों को अपने साथ जोड़ा और ट्रस्ट के स्वयंसेवक उन्हें लेकर उन जगहों पर पहुंचे जहां ऐसे भिक्षुक बहुतायत में आते-जाते थे। यह टीम कभी शहर के किसी व्यस्त चौराहे पर खड़ी रहकर ऐसे लोगों की दाढ़ी-बाल कटवाती तो कभी भोजन वितरण स्थलों पर यह काम किया जाता। राजामंडी स्थित साईं मंदिर पर भिखारियों की संख्या बहुत ज्यादा रहती थी, इसलिए ट्रस्ट ने इस जगह पर सेवा कार्य को कुछ अधिक फोकस किया। ट्रस्ट की कोशिश थी कि भिक्षुकों में स्वच्छता के प्रति जागृति पैदा करना। ट्रस्ट की कोशिशें रंग लाईं। शुरुआत में तो भिक्षुकों को दाढ़ी और बाल कटवाने के लिए लाना पड़ता था। तीन साल तक जगह-जगह जाकर यह अभियान चलाया गया। अब ट्रस्ट ने इस सेवा प्रकल्प के लिए एक स्थान नियत कर दिया है। एसएन इमरेंजी से मोती कटरा की ओर जाने वाले रोड पर स्थित लंगूर वाले मंदिर के पास प्रत्येक रविवार को सुबह नौ बजे से ट्रस्ट की ओर से नियत नाई और ट्रस्ट का एक कर्मचारी वहां मौजूद रहता है। ट्रस्ट की ओर से नाई को साबुन, ब्लेड, डेटाल, फिटकरी, शेविंग सोप, आफ्टर शेविंग क्रीम आदि सामान प्रदान किया जाता है। प्रति व्यक्ति हेयर कटिंग के लिए 30 रुपये का मेहनतनामा भी कटिंग करने वाले कारीगर को दिया जाता है। अच्छी बात यह है कि ट्रस्ट को अब चौराहों और मंदिरों पर नहीं जाना पड़ता, क्योंकि भिक्षुकों को भी इस जगह का पता है और वे हर रविवार को लंगूर वाला मंदिर पहुंचकर शेविंग और हेयर कटिंग कराते हैं। दूसरे शब्दों में उन्होंने स्वच्छता के महत्व को समझ लिया है। ट्रस्ट उन भिखारियों को जूते और कपड़े भी प्रदान करता है जिनके कपड़े तार-तार हो चुके होते हैं। इस सेवा प्रकल्प के जरिए सत्यमेव जयते ट्रस्ट अब तक लगभग छह हजार लोगों में स्वच्छता का भाव पैदा कर चुका है। ट्रस्ट ने पिछले सप्ताह से यह सेवा एसएन अस्पताल में भर्ती अज्ञात मरीजों के लिए भी शुरू कर दी है।