सोयाबीन की बढ़ी एमएसपी किसानों के हक में या फिर ट्रंप के टैरिफ प्रेशर का शिकार बन जाएगी?

भारत सरकार ने सोयाबीन का एमएसपी 5,328 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, लेकिन मंडियों में किसान इसे 1,000 रुपये कम में बेचने को मजबूर हैं। इससे एमएसपी महज़ कागज़ी राहत बनती दिख रही है। बढ़ी हुई कीमत के चलते खाद्य तेल की लागत भी करीब 24 रुपये प्रति किलो बढ़ जाएगी। इस बीच अमेरिका भारत पर सोयाबीन आयात टैरिफ घटाने का दबाव बना रहा है, जो अगर माना गया तो घरेलू किसानों को बड़ा नुकसान होगा। ऐसे में सरकार के सामने दुविधा होगी कि या तो किसानों की रक्षा करे या ट्रंप की चेतावनी माने। समाधान के रूप में सोयाबीन पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाना अब ज़रूरी हो जाएगा।

May 29, 2025 - 15:22
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सोयाबीन की बढ़ी एमएसपी किसानों के हक में या फिर ट्रंप के टैरिफ प्रेशर का शिकार बन जाएगी?
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-गिरधारीलाल गोयल-

भारत सरकार ने खरीफ फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा करते हुए सोयाबीन के लिए 5,328 रुपये प्रति क्विंटल का नया एमएसपी तय किया है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 436 रुपये अधिक है। लेकिन बाजार के मौजूदा हालात देखकर यह बढ़ोतरी किसान हित के बजाय सरकार के लिए नीति द्वंद्व का कारण बन सकती है।

हकीकत यह है कि...

वर्तमान में सोयाबीन किसानों को मंडियों में एमएसपी से करीब 1,000 रुपये प्रति क्विंटल कम दाम पर अपनी उपज बेचनी पड़ रही है। ऐसे में एमएसपी की यह बढ़ोतरी किसानों के लिए महज़ कागज़ी राहत बनकर रह सकती है।

इसके अलावा एमएसपी बढ़ने से तेल उत्पादन की लागत भी बढ़ जाएगी। चूंकि एक क्विंटल सोयाबीन से औसतन 18 किलो तेल निकलता है, इस प्रकार देखें तो बढ़ी हुई एमएसपी से ही तेल पर 24 रुपये प्रति किलो की अतिरिक्त लागत सीधे जुड़ जाती है।

ट्रंप की चेतावनी और भारत की दुविधा

दूसरी ओर, अमेरिका से आयात होने वाले सोयाबीन पर भारत पहले से टैरिफ लगा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप  भारत पर दबाव बना रहे हैं कि वो खाद्य तेलों पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाए। लेकिन भारत के लिए यह कदम उठाना किसानों के हितों पर सीधा प्रहार होगा। यदि सरकार टैरिफ घटाती है, तो विदेशी सोयाबीन सस्ता होकर भारतीय बाजार में उतर आएगा और भारतीय किसानों की उपज पहले से भी सस्ती बिकेगी।

सरकार की नीति उलझन: बढ़ी एमएसपी, लेकिन बाजार में कम दाम

अब सरकार के सामने चुनौती यह है कि वह एक तरफ किसानों को एमएसपी की सुरक्षा दे और दूसरी तरफ ट्रंप के दबाव से निपटे। इसके साथ ही खाद्य तेलों की महंगाई भी काबू में रखे।

ऐसे में सरकार को सोयाबीन पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ानी ही पड़ेगी, ताकि घरेलू एमएसपी तार्किक और व्यावहारिक रूप से टिक सके। अगर ऐसा नहीं होता है तो यह बढ़ी हुई एमएसपी एक हास्यास्पद घोषणा बन जाएगी, जिसका किसानों को कोई लाभ नहीं मिलेगा।

SP_Singh AURGURU Editor