Aurguru news निष्कलंक माता गिरजाघर के 175 पूरे, प्रथम विश्वयुद्ध में बहुत क्षति पहुंची थी
आगरा। महानगर के पौने दो साल साल पुराने निष्कलंक माता महागिरजाघर (सेंट पीटर्स कॉलेज के निकट) का जुबिली समारोह धार्मिक वातावरण में उल्लास के साथ मनाया गया। समारोह के मुख्य अनुष्ठाता मेरठ के धर्माध्यक्ष भास्कर और ग्वालियर के धर्माध्यक्ष जोसफ ने अपने संदेश में कहा कि बदलते हुए परिवेशों में भी हमें ईसा मसीह के शुभ सन्देश, उनकी शिक्षा और दर्शन को जन-जन तक पहुँचाना है।

सहायक अनुष्ठाता और आगरा के महाधर्माध्यक्ष डॉ. राफी मंजलि ने बताया कि हमारा संदेश प्रेम, प्रार्थना और और प्रभु की आशीष पर आधारित होना चाहिए।' द्वितीय अनुष्ठाता और आगरा के पूर्व निवर्तमान महाधर्माचार्य डॉ. आल्बर्ट डिसूजा ने बताया कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गिरजाघर को बहुत क्षति उठानी पड़ी थी। अकबरी गिरजाघर के बाद यही गिरजाघर आगरा का प्रमुख गिरजाघर बन गया है।
समारोह में ग्रामीण व अंचलीय क्षेत्रों से करीब सैकड़ों लोग मौजूद थे। विभिन्न धर्म-संप्रदायों के प्रतिनिधियों के अलावा करीब 100 पुरोहित वेदी पर विराजमान थे।
बता दें कि इस गिरजाघर की नींव 175 वर्ष पहले इटली के तत्कालीन महाधर्माध्यक्ष डॉ. बोर्गी ने रखी थी। गिरजाघर की वास्तुशिल्प फ्लोरेंस (इटली) के फादर बोनावेंचर ने तैयार की थी। इन 175 वर्षों में चर्च ने शिक्षा, चिकित्सा एवं समाजसेवा के क्षेत्र में बहुत उन्नति की है। लोगों को उनके पांवों पर खड़ा करने में विशेष भूमिका निभाई है। भारतीय चर्च में बहुत कुछ भारतीय है। स्थानीय संस्कारों, चिन्हों व प्रतीकों को अपनाकर चर्च भारतीय बन गया है। क्रिश्चियन समाज सेवा सोसाइटी के अध्यक्ष डेनिस सिल्वेरा ने सभी के प्रति आभार जताया।