अमेरिका ने हमला किया तो 100 सालों तक लड़ेंगे- मादुरो
यूएस आर्मी वॉर कॉलेज के एक्सपर्ट डॉ. इवान एलिस ने कहा है कि वेनेजुएला में अमेरिका के मिशन की कामयाबी की संभावना, जिसमें राष्ट्रपति मादुरो की गिरफ्तारी भी शामिल है, वो सिर्फ 30 प्रतिशत के करीब है, क्योंकि राष्ट्रपति मादुरो पकड़े जाने की आशंका में पड़ोसी देश ब्राजील या कोलंबिया भाग सकते हैं।
काराकास। दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला और अमेरिका के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। आशंका है कि डोनाल्ड ट्रंप जल्द ही अमेरिकी सेना को वेनेजुएला पर हमला करने का आदेश दे सकते हैं। अमेरिका लगातार वेनेजुएला के नावों पर ये आरोप लगाकर हमले कर रहा है कि वो नाव ड्रग्स की तस्करी कर रहे हैं। ऐसे में वेनेज़ुएला में माहौल युद्ध जैसा बनता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कैरेबियन सागर में अमेरिकी सेना को सैन्य हमला करने की इजाजत दे दी है, जिसके बाद वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने चेतावनी दी है कि वो किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देंगे।
अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने राजधानी कराकास के पास एक पहाड़ी में बने बंकर में शरण ली है और उनकी सुरक्षा में क्यूबा के 'ब्लैक वॉस्प' कमांडो यूनिट तैनात हैं। मादुरो के करीबी सहयोगी डायोसदादो कैबेलो ने सेना अधिकारियों से कहा है, कि वो सौ साल तक चलने वाले जंग की तैयारी करें। यानि वेनेजुएला अमेरिका से सौ सालों तक लड़ने की तैयारी कर रहा है। यानि, अगर अमेरिका हमला करता है तो वेनेजुएला का इराक या गाजा जैसा हाल हो सकता है।
द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर अमेरिका हमला करता है तो वेनेजुएला में अमेरिकी सैनिकों को घातक गुरिल्ला युद्ध का सामना करना पड़ेगा। इसके लिए मिसाइलों और स्नाइपर रायफलों के साथ वेनेजुएला में घातक युद्ध रणनीति बनाई जा रही है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि राष्ट्रपति मादुरो के शासन को उखाड़ फेंकने के लिए अमेरिकी सैनिकों को हर हाल में वेनेजुएला के अंदर दाखिल होना होगा और ऐसी स्थिति में वेनेजुएला, अमेरिका को गुरिल्ला युद्ध में फंसाना चाहता है। सेना अधिकारियों और मिलिशिया नेताओं की एक बैठक में राष्ट्रपति मादुरो के स्पेशल सलाहकार कैबेलो ने कहा "अमेरिकी इस युद्ध को जल्द से जल्द खत्म करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन हम उन्हें सौ साल तक नहीं जाने देंगे।"
यानि, सलाहकार कैबेलो की तैयारी को समझने की कोशिश करें तो यही समझ आता है कि वो अमेरिका को मैक्सिमम नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, भले वेनेजुएला का हाल इराक या गाजा जैसा क्यों ना हो जाए। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व कर्मचारी लुइस क्विनोनेस का कहना है कि अमेरिकी सेना को 48 घंटों के भीतर स्थिति पर नियंत्रण स्थापित करना होगा, अन्यथा स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।
वेनेज़ुएला की सेना के पास रूसी एस-300 एयर डिफेंस सिस्टम, एसयू-30 फाइटर जेट, टी-72 टैंक और इगला-एस एमएएनपीएडीएस जैसे हथियार हैं, जिन्हें अमेरिका शुरुआती आठ घंटों में नष्ट करने की योजना पर काम कर रहा है। हो सकता है अमेरिका इन भारी हथियारों को खत्म भी कर दे, लेकिन असली चुनौती शहरी लड़ाई, स्थानीय प्रतिरोध और कोलेक्टिवोस नामक अर्धसैनिक बल हैं, जो शहरी लड़ाई में अमेरिकी सैनिकों की जिंदगी नर्क बना सकते हैं। ये गुरिल्ला युद्ध में माहिर हैं और इन्होंने एक नेटवर्क बना रखा है। इसे ऐसे समझिए, कि हमास को खत्म करने के चक्कर में पूरा गाजा खत्म हो गया, फिर भी इजरायल 2 सालों से ज्यादा की लड़ाई में सिर्फ 65-70 प्रतिशत गाजा पर ही नियंत्रण स्थापित कर पाया।
वेनेजुएला के ये लड़ाके जेल गैंग्स जैसे ट्रेन डे अरागुआ से आते हैं और राष्ट्रपति मादुरो के विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमले करते हैं, उन्हें अगवा करते हैं या फिर जरूरत पड़ने पर उन्हें मार भी देते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इनके पास 6,000 से ज्यादा मिसाइलें हैं, जो अमेरिकी हेलीकॉप्टरों को गिराने में सक्षम हैं। इन्हीं में से कई हथियार हिज्बुल्ला के लड़ाकों के पास भी हैं, जो ईरान की मदद से वेनेजुएला में सक्रिय हैं।
वेनेजुएला के पूर्व खुफिया प्रमुख जनरल क्रिस्टोफर फिगुएरेस के मुताबिक, हिज्बुल्लाह के करीब 1000 लड़ाके मर्गारीटा द्वीप पर बसे हैं। ये वहां से आतंकी नेटवर्क चलाते हैं। यहां के कई युवाओं के शरीर पर ओसामा बिन लादेना और 9/11 आतंकी हमले के टैटू देखे जा सकते हैं। फिगुएरेस ने खुलासा किया कि उन्होंने सैकड़ों मिडिल ईस्ट के नागरिकों को वेनेज़ुएलन पासपोर्ट जारी किए, जो स्पेनिश तक नहीं बोल पाते थे। राजधानी कराकास में बने कुछ कम्युनिटी सेंटर्स में कोलेक्टिवोस और हिज्बुल्ला सदस्यों को एक साथ मिलिट्री ट्रेनिंग और विचारधारा की ब्रेनवॉशिंग दी जाती है। इनमें से एक केंद्र नस्र अल-दिन्न नामक लेबनानी मूल के शख्स के नियंत्रण में था, जिसे अमेरिका ने आधिकारिक रूप से हिज्बुल्ला ऑपरेटिव घोषित किया है।
अमेरिका के डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर अमेरिका हमला करता है तो उसे हर हाल में 48 घंटे के अंदर वेनेजुएला को पूरी तरह से अपने कंट्रोल में लेना होगा। अगर ऐसा नहीं हो पाया तो अमेरिका के लिए वेनेजुएला भी अफगानिस्तान जैसा बन सकता है। अमेरिकी नौसैनिक जहाज पहले से ही वेनेज़ुएला के तट पर तैनात हैं, जबकि F-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स प्यूर्टो रिको से उड़ान भरकर वेनेजुएला के एयर डिफेंस सिस्टम की क्षमता का टेस्ट कर रहे हैं। मादुरो ने दावा किया है कि अमेरिका के खिलाफ वो 40 लाख नागरिक मिलिशिया को युद्ध में उतारने के लिए तैयार हैं। इसीलिए अमेरिका को डर है कि वेनेजुएला नागरिकों को ढाल की तरह इस्तेमाल कर सकता है। वहीं यूएस आर्मी वॉर कॉलेज के एक्सपर्ट डॉ. इवान एलिस ने कहा है कि वेनेजुएला में अमेरिका के मिशन की कामयाबी की संभावना, जिसमें राष्ट्रपति मादुरो की गिरफ्तारी भी शामिल है, वो सिर्फ 30 प्रतिशत के करीब है, क्योंकि राष्ट्रपति मादुरो पकड़े जाने की आशंका में पड़ोसी देश ब्राजील या कोलंबिया भाग सकते हैं और ऐसी स्थिति में फिर अमेरिका क्या करेगा, ये एक बड़ा सवाल होगा?




