नेपाल में राजशाही की वापसी को लेकर प्रदर्शन, हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग

काठमांडू। नेपाल की राजधानी काठमांडू में नए घटनाक्रम से सियासी हलचल बढ़ गई है। रविवार को काठमांडू में नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का स्वागत करने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटे। ज्ञानेंद्र शाह के समर्थकों ने नेपाल में राजशाही की बहाली और हिंदू धर्म को फिर से राजकीय धर्म बनाने की मांग की है। ज्ञानेंद्र शाह पश्चिमी नेपाल के दौरे से लौट रहे थे तो काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर करीब दस हजार लोगों की भीड़ जुटी। इस दौरान भीड़ ने 'राजा के लिए राजमहल खाली करो', राजा वापस आओ, देश बचाओ। हम क्या चाहते- राजशाही और नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाओ जैसे नारे लगाए।

Mar 11, 2025 - 13:02
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नेपाल में राजशाही की वापसी को लेकर प्रदर्शन, हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग

साल 2006 में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद ज्ञानेंद्र के हाथ से सत्ता निकल गई थी। इसके दो साल बाद संसद ने राजशाही को खत्म किया था। इसके बाद नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता रही है। 2008 में राजशाही खत्म होने के बाद से नेपाल में 13 सरकारें बन चुकी हैं। बीते कुछ वर्षों में नेपाल की अर्थव्यवस्था भी गिरी है। ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत में जुटे लोगों ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि देश को बचाने के लिए वे बदलाव चाहते हैं। एक प्रदर्शनकारी थिर बहादुर भंडारी ने कहा कि हम नेपाल को बचाने और राजा को फिर से राजगद्दी पर बिठाने के लिए आए हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत में आए 50 वर्षीय कुलराज श्रेष्ठ ने 2006 में राजशाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। अब वह सड़क पर राजा का समर्थन कर रहे हैं। श्रेष्ठ ने कहा, 'देश में सबसे बुरी चीज बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है। सत्ता में बैठे सभी नेता देश के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। मैं उन विरोध प्रदर्शनों में शामिल था, जिन्होंने राजशाही को हटाया। मुझे उम्मीद थी कि बेहतरी आएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राजशाही जाने के बाद राष्ट्र और नीचे गिर गया है। इसलिए मैंने अपना मन बदला है।'

ज्ञानेंद्र को मिले समर्थन के बावजूद फिलहाल उनके सत्ता में लौटने की संभावना कम है। वह साल 2002 में नेपाल के राजा बने थे और 2005 तक बिना किसी राजनीतिक शक्ति के संवैधानिक राष्ट्राध्यक्ष थे। इसके बाद उन्होंने सरकार और संसद को भंग करते हुए पूरी सत्ता अपने हाथ में ले ली थी। उन्होंने आपातकाल की घोषणा करते हुए देश पर शासन करने के लिए सेना का इस्तेमाल किया था। इसके बाद देशभर में उनके खिलाफ गुस्सा देखा गया था। इसे बहुत से लोग अभी भूले नहीं हैं। ऐसे में ज्ञानेंद्र के सत्ता में वापस आने की राह बहुत आसान नहीं है।

नेपाल में राजनीतिक स्थिति लगातार अस्थिर बनी हुई है। ऐसे में ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत की घटना नेपाल के लिए महत्वपूर्ण है। नेपाल के लोगों ने साफ संकेत दिया है कि वह बदलाव चाहते हैं लेकिन क्या राजशाही की वापसी संभव होगी। ये आने वाले समय में ही तय होगा। ज्ञानेंद्र शाह की ओर से अभी तक राजशाही की वापसी की मांग पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।