चलिए तुर्की और अज़रबैजान को दिखा दें आम भारतीयों की ताकत, ऐसे ठिकाने आएगी इनकी अक्ल
भारत-पाक तनाव के बीच तुर्की और अज़रबैजान के पाकिस्तान-समर्थन से भारत की जनता में नाराज़गी है। अब आम भारतीय पर्यटक और उपभोक्ता इन मुस्लिम देशों को आर्थिक रूप से झटका देने के लिए मोर्चा संभाल चुके हैं। ट्रैवल कंपनियों ने बुकिंग बंद कर दी और भारतीय पर्यटकों ने बहिष्कार शुरू किया। अगर यह रुख जारी रहा तो तुर्की और अज़रबैजान को भारत की नाराजगी की असली कीमत चुकानी पड़ेगी।

प्रेसिडेंट, ION Bharat
भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बीच जिन दो देशों की सबसे ज्यादा चर्चा हुई, वो हैं तुर्की और अज़रबैजान। दोनों ही देशों के साथ भारत के राजनीतिक और व्यापारिक रिश्ते हैं। तुर्की जब भीषण भूकंप की मार से कराह रहा था, तब उसकी मदद करने वालों में भारत भी शामिल था। यह जानते हुए भी कि तुर्की का झुकाव हमारे दुश्मन पाकिस्तान की तरफ है, भारत हमेशा उसकी मदद को तैयार रहा। अज़रबैजान में भी भारतीय निवेश में इजाफा देखने को मिला है। भारतीय पर्यटक इन देशों की अर्थव्यस्था को मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत दोनों ही मुल्कों से दोस्त की तरह पेश आता रहा है, लेकिन पाकिस्तान के साथ संघर्ष में तुर्की और अज़रबैजान ने भारत के खिलाफ जाकर यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी दोस्ती केवल आर्थिक फायदे तक ही सीमित है.
जनता समझती है मजबूरी
तुर्की और अज़रबैजान के इस अहसान फरामोश व्यवहार को लेकर अब भारत में आक्रोश है। आम जनता भी इन देशों को अपने स्तर पर सबक सिखा रही है। भारत के पर्यटकों ने इन देशों को अपनी प्राथमिकता सूची से बाहर करना शुरू कर दिया है। तुर्की और अज़रबैजान के आने वाले सामान का बहिष्कार शुरू हो गया है। सरकारी स्तर पर इन देशों से रिश्ते निभाना कूटनीतिक मजबूरी हो सकती है और जनता इसे बखूबी समझती भी है, इसलिए अब उसने खुद मोर्चा संभाल लिया है। माना जा रहा है कि बॉयकॉट तुर्की-अज़रबैजान कैंपेन से इन दोनों ही देशों को बड़ी आर्थिक चोट पहुंच सकती है।
भारत से जुड़े दोनों के हित
तुर्की और अज़रबैजान दोनों के कई हित भारत से जुड़े हुए हैं। उदाहरण के तौर पर भारत तुर्की को इंजीनियरिंग उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, जैविक एवं अकार्बनिक रसायन, मैन मेड यार्न और दवाएं एवं फार्मास्युटिकल्स भेजता है। इसी तरह तुर्की से भारत सेब, खनिज तेल एवं ईंधन, मशीनें, बॉयलर और उनके पार्ट्स, नमक, पत्थर, प्लास्टर सामग्री, कीमती पत्थर और धातुएं, अकार्बनिक रसायन, फल एवं मेवे, खाद्य उत्पाद, वस्त्र और परिधान आदि खरीदता है। पिछले वित्त वर्ष में भारत ने तुर्की के सेब का 50% अतिरिक्त आयात किया था। यानि तुर्की के सेब के लिए भारत एक बड़ा बाजार है।
हमारा चावल खाता अज़रबैजान
वहीं, भारत अज़रबैजान को चावल, स्मार्ट फोन, एल्युमीनियम ऑक्साइड और दवाएं आदि भेजता है और बदले में उससे कच्चा तेल खरीदता है। 2024–25 के अप्रैल से फरवरी तक भारत ने इस मुस्लिम देश को 86.07 मिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया, जिसमें चावल टॉप पर रहा। यानी अज़रबैजान में भारतीय चावल को खूब पसंद किया जाता है। वहां के लोग हमारे देश में उगने वाले चावल के दीवाने हैं, जबकि अजरबैजान भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाले प्रमुख देशों में शामिल है। 2023 में भारत ने अजरबैजान से 1.227 अरब डॉलर का कच्चा तेल आयात किया। 2024 में यह घटकर भले ही 733.09 मिलियन डॉलर रह गया, लेकिन फिर भी अजरबैजान भारत की ऊर्जा आपूर्ति रणनीति में अहम बना हुआ है।
सरकार की स्थिति समझिये
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत और अजरबैजान व्यापार का 98% हिस्सा केवल कच्चे तेल या क्रूड ऑयल से जुड़ा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत सीधे तौर पर इन देशों के लिए कोई कड़े कदम नहीं उठा सकता, क्योंकि रणनीतिक मजबूरियां हैं। अजरबैजान के खिलाफ जाने से तेल आपूर्ति बाधित होने की संभावना बनी रहेगी, जो भारत की विविधता वाली ऊर्जा रणनीति को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में मोर्चा आम जनता को संभालना होगा। अगर लोग इन देशों की यात्रा पूरी तरह से रोक दें, वहां से आने वाला सामान खरीदना बंद कर दें, अपने आप उनकी अक्ल ठिकाने आ सकती है।
पर्यटकों से होती है कमाई
तुर्की और अज़रबैजान को भारतीय पर्यटकों से अच्छी कमाई होती है। उद्योगपति हर्ष गोयनका के अनुसार, 2024 में भारतीय पर्यटकों ने तुर्की और अज़रबैजान में करीब 4000 करोड़ रुपये खर्च किया था। अज़रबैजान जाने वाले कुल पर्यटकों में भारत का योगदान 8.9% है। पिछले साल करीब 2.43 लाख भारतीय पर्यटकों ने इस देश की यात्रा की थी। अज़रबैजान जाने वाले कुल पर्यटकों में तीसरी सबसे बड़ी संख्या भारत से आती है। वहीं, पिछले साल तुर्की जाने वाले भारतीयों की संख्या 2.3 लाख थी। एक साल के भीतर भारतीय पर्यटकों की संख्या में 21% की वृद्धि हुई है। लगातार बढ़ रही भारतीय टूरिस्ट की संख्या से इन देशों देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। वहां रोजगार के नए मौके बने हैं।
अज़रबैजान ने बढ़ाई दिलचस्पी
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अज़रबैजान लगातार भारत के करीब आने का प्रयास कर रहा है। अज़रबैजान जुलाई से अपनी राजधानी बाकू और अहमदाबाद के बीच सीधी उड़ानें शुरू करने जा रहा है, जो प्रमुख भारतीय शहरों से जुड़ने में उसकी बढ़ती दिलचस्पी का संकेत है। यह नया रूट दिल्ली और मुंबई के बाद अज़रबैजान एयरलाइंस का भारत में तीसरा डेस्टिनेशन होगा। इसके अलावा, 16 जून से मुंबई और बाकू के बीच उड़ानें नियमित हो जाएंगी। अज़रबैजान भारतीय पर्यटकों की संख्या में पिछले कुछ समय में आए उछाल से खुश है। वह चाहता है कि भारत और उसके प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों के बीच का सफर आसान हो जाए, इसलिए वह भारत से और कनेक्टिविटी बढ़ा रहा है। अगर इंडियन टूरिस्ट अपने स्तर पर अज़रबैजान के बहिष्कार को जोरशोर से अमल में लाते हैं, तो उसे बड़ा नुकसान पहुंच सकता है।
अब हमें दिखानी है ताकत
अब तक कई भारतीय कंपनियों ने अपने स्तर पर इन दोनों देशों के खिलाफ कदम उठाए हैं। उदाहरण के तौर पर xigo, Cox Kings और EaseMyTrip जैसे ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म ने तुर्की के लिए फ्लाइट और होटल बुकिंग पर रोक लगा दी है। इसके अलावा, मेकमाईट्रिप ने भी अपने प्लेटफॉर्म से इन डेस्टिनेशन के लिए सभी प्रमोशन और ऑफ़र हटा दिए हैं। अब आम भारतीयों को भी पाकिस्तान परस्त इन देशों को अपनी ताकत का अहसास दिलाना है। यदि भारतीय इन देशों में छुट्टियां मानना पूरी तरह बंद कर दें और इनके सामान का बहिष्कार करें, तो इन्हें समझ आ जाएगा कि भारत को नाराज करना कितना भारी पड़ सकता है।