‘द आगरा स्टोरी’ का पर्दाफाश: दो सगी बहनों को ब्रेनवॉश कर धर्मांतरण, सात राज्यों में छापेमारी, विदेशी फंडिंग

आगरा। जिस प्रकार 'द केरल स्टोरी' ने देश को झकझोर दिया था, उसी तरह अब आगरा से सामने आई 'द आगरा स्टोरी' ने आतंक, धर्मांतरण और मानव तस्करी के संगठित गिरोह की गहराई को उजागर कर दिया है। यह मामला केवल दो बहनों के लापता होने तक सीमित नहीं, बल्कि देश-विरोधी नेटवर्क, विदेशी फंडिंग, इस्लामी कट्टरपंथ और देह व्यापार जैसे गंभीर आयामों से जुड़ा हुआ है।

Jul 19, 2025 - 18:09
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‘द आगरा स्टोरी’ का पर्दाफाश: दो सगी बहनों को ब्रेनवॉश कर धर्मांतरण, सात राज्यों में छापेमारी, विदेशी फंडिंग
धर्मांतरण में गिरफ्तार एक आरोपी जिसे रिमांड पर लेने के लिए पुलिस ने कोर्ट में पेश किया।

मामला कैसे उजागर हुआ?

चार मार्च 2025 को आगरा के सदर क्षेत्र से एक पंजाबी परिवार की दो बहनें संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो गईं। परिवार ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने शुरुआत में इसे गंभीरता से नहीं लिया। 41 दिन बाद जब परिजन सक्रिय हुए और सबूत जुटाए, तब जाकर चार मई को अपहरण की धाराओं में केस दर्ज हुआ।

ब्रेनवॉश का जाल: 2021 से शुरू हुई थी साजिश

बड़ी बहन, जो दयालबाग डीम्ड यूनिवर्सिटी से एमफिल कर चुकी है, वर्ष 2021 में साईमा उर्फ खुशबू नामक युवती के संपर्क में आई। खुशबू जम्मू-कश्मीर के उधमपुर की रहने वाली थी और आगरा के खंदारी कैंपस में पढ़ाई कर रही थी। वह बड़ी बहन को अपने साथ जम्मू ले गई। बीच रास्ते में लैंडस्लाइड हुआ, पुलिस को सूचना मिली और परिजन लड़की को घर ले आए।

घर लौटने के बाद युवती में हिंदू परंपराओं के खिलाफ विद्रोह, पूजा-पाठ का विरोध और कट्टर इस्लामी विचारधारा फैलाने की प्रवृत्ति शुरू हो गई। उसने धीरे-धीरे अपनी छोटी बहन का भी ब्रेनवॉश कर दिया। 24 मार्च 2025 को दोनों बहनें एक बार फिर फरार हो गईं।

आगरा पुलिस की सात टीमों ने सात राज्यों में मारा छापा

डीजीपी राजीव कृष्ण, एसटीएफ प्रमुख अमिताभ यश और पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए खुद कमान संभाली। एडीसीपी सिटी आदित्य के नेतृत्व में सात टीमें बनाई गईं, जिन्हें साइबर सेल और सर्विलांस से मिली अहम जानकारियों के आधार पर कार्रवाई का निर्देश मिला।

गिरफ्तारी और खुलासे: गिरोह का पूरा नेटवर्क सामने आया

इस मामले में कोलकाता (बैरकपुर) से हसन अली उर्फ शेखर रॉय (बारासात अदालत का कर्मचारी) पकड़ा गया। गोवा से रीत बनिक उर्फ मोहम्मद इब्राहिम गिरफ्तार हुए। दोनों को तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड पर आगरा लाया जा रहा है। इसके अलावा लड़कियों का ब्रेनवॊश करने वाली आयशा (ISIS से जुड़ी, AK-47 के साथ फोटो सोशल मीडिया पर मौजूद) तथा ओसामा (कोलकाता), रहमान कुरैशी (आगरा), अबू तालिब (मुजफ्फरनगर), अबुर रहमान (देहरादून), मोहम्मद अली और जुनैद (जयपुर), रहमान (समस्तीपुर, बिहार) और बरेली और राजस्थान से भी एक-एक आरोपी पकड़ा गया है। अब तक 10 से अधिक आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

कट्टरपंथ और देह व्यापार का खतरनाक कॉकटेल

पुलिस जांच में सामने आया कि ये गिरोह युवतियों को पहले प्रेम, धर्म और करियर के नाम पर बहलाता है, फिर उनका ब्रेनवॉश कर इस्लाम में धर्मांतरण कराता है। इसके बाद उन्हें गिरोह का सक्रिय सदस्य बना दिया जाता है। जो लड़कियां इससे अलग होना चाहती हैं, उन्हें देह व्यापार में धकेल दिया जाता है।

विदेशी फंडिंग और आतंकी कनेक्शन

धर्मांतरण और ब्रेनवॉश की इस पूरी श्रृंखला को यूएसए, कनाडा, खाड़ी देशों से फंडिंग मिल रही थी। पुलिस के अनुसार गिरोह के तार PFI, SDPI और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से भी जुड़े हुए हैं। जांच में यह भी सामने आया कि यह नेटवर्क 2015 से सक्रिय है।

सोशल मीडिया बना हथियार

यह गिरोह बेहद हाईटेक तरीके से काम करता है। पढ़े-लिखे युवक-युवतियों को टारगेट कर फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल से संपर्क साधा जाता है। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर धार्मिक वीडियो, भावनात्मक कहानियों और बहकाने वाले संदेशों के जरिए मानसिक रूप से कमजोर युवाओं को फंसाया जाता है।

आने वाला है और बड़ा खुलासा

पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार का कहना है कि यह एक बहुत बड़ा राष्ट्रविरोधी नेटवर्क है, जिसकी पूरी संरचना का जल्द ही पर्दाफाश किया जाएगा। गिरफ्तारी के बाद कई और चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच अब साइबर क्राइम, एटीएस और एनआईए की निगरानी में चल रही है।

 ‘द आगरा स्टोरी’ एक चेतावनी, एक चुनौती

यह मामला केवल आगरा की दो बहनों का नहीं, बल्कि देश की युवा पीढ़ी को मानसिक गुलामी में धकेलने, मजहबी उन्माद फैलाने और आतंक से जोड़ने की एक सोची-समझी अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा है।

SP_Singh AURGURU Editor