नगर निगम कार्यकारिणी में भाजपा का दबदबा, छह में पांच सदस्य निर्विरोध निर्वाचित, बसपा को एक सीट
आगरा नगर निगम कार्यकारिणी सदस्य के लिए शनिवार को हुए चुनाव में मतदान की नौबत नहीं आई। बगैर चुनाव के भाजपा के पांच और बसपा का एक सदस्य चुन लिया गया। भाजपा के पांच सदस्यों की निर्विरोध जीत ने जहां पार्टी की संगठनात्मक कुशलता को दर्शाया, वहीं विपक्ष की रणनीतिक कमजोरी भी उजागर हो गई।

आगरा। नगर निगम आगरा की कार्यकारिणी के छह सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया शनिवार को निर्विरोध रूप से संपन्न हो गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बार फिर नगर निकाय में अपनी पकड़ मजबूत करते हुए पांच सीटों पर कब्जा जमाया, जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को केवल एक पद पर संतोष करना पड़ा।
भाजपा के ये पांच बने कार्यकारिणी सदस्य
भाजपा की ओर से राकेश जैन, फूल कुमारी, प्रियंका अग्रवाल, वीरेंद्र लोधी और विक्रांत कुशवाह को निर्विरोध कार्यकारिणी सदस्य चुना गया है। ये सभी पार्टी के वरिष्ठ पार्षद और संगठन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। भाजपा ने छठे उम्मीदवार के रूप में शरद चौहान का भी नामांकन कराया था, लेकिन बाद में सर्वसम्मति बनने पर शरद चौहान ने वापस ले लिया।
बसपा को मिली एक सीट, मोहम्मद आसिफ निर्वाचित
बहुजन समाज पार्टी के मोहम्मद आसिफ इकलौते ऐसे प्रत्याशी रहे जिन्हें कार्यकारिणी में जगह मिल सकी। बसपा ने शुरुआत में तीन उम्मीदवार मैदान में उतारे थे लेकिन दो महिला प्रत्याशियों के नामांकन तकनीकी कारणों से खारिज हो गए थे। सर्वसम्मति बनने पर बसपा ने अपने दो प्रत्याशियों सुहेल कुरैशी व पुष्पा कुमारी के नामांकन वापस करा लिए।
मतदान की नौबत नहीं आई, भाजपा की रणनीति सफल
हालांकि शुरुआत में यह चुनाव टकराव वाला माना जा रहा था और मतदान की संभावना भी जताई जा रही थी, लेकिन अंततः सभी छह सीटों पर सर्वसम्मति से चयन हुआ। भाजपा की यह रणनीति सफल रही कि मुकाबला टालकर अधिकतम पदों पर कब्जा किया जाए। इसके पीछे सदन में भाजपा की प्रबल संख्यात्मक स्थिति और पदेन सदस्यों का समर्थन भी निर्णायक रहा।
कार्यकारिणी चुनाव में भाजपा की ताकत का गणित
नगर निगम में भाजपा के पास 66 पार्षदों के अलावा तीन सांसद, पांच विधायक और दो एमएलसी का समर्थन था, जिनके वोट भी पदेन सदस्य के रूप में मान्य होते हैं। इस तरह भाजपा के पास स्पष्ट बहुमत से कहीं अधिक ताकत थी।
प्रत्येक कार्यकारिणी सदस्य के चयन के लिए न्यूनतम 16 प्रथम वरीयता के मतों की आवश्यकता होती है। भाजपा की मौजूदा संख्या के आधार पर चार सदस्यों की जीत सुनिश्चित थी, जबकि बाकी दो पर द्वितीय वरीयता और समझौते की रणनीति से सफलता मिली।
बसपा की उम्मीदों को झटका
बसपा की ओर से कुल पांच नामांकन किए गए थे, जिनमें से दो महिला पार्षदों के नामांकन रद्द हो गए, जिससे पार्टी की रणनीति कमजोर पड़ी। बसपा की कोशिश दो पदों पर जीत की थी, लेकिन अंततः एक ही पद पर संतोष करना पड़ा। यह भाजपा की सशक्त चुनावी कूटनीति का ही असर माना जा रहा है।
रामजीलाल सुमन के रुख की जरूरत ही नहीं पड़ी
राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन नगर निगम के पदेन सदस्य हैं, लेकिन इस चुनाव में सपा की भूमिका लगभग शून्य रही। सदन में सपा समर्थित कुछ निर्दलीय पार्षद मौजूद हैं, लेकिन मतदान की आवश्यकता ही नहीं पड़ी, जिससे उनके रुख की जरूरत नहीं पड़ी।