ड्रोन से खुला हकीकत का नक्शा, आगरा में उटंगन अब भी बन सकती है जीवनरेखा
आगरा। मानसून की बारिश ने आगरा में उटंगन नदी में फिर से जीवन भर दिया है। जयपुर की बैराठ पहाड़ियों से निकली यह नदी इन दिनों आगरा जनपद में जलप्रवाह के चरम पर है। मोतीपुरा (खेरागढ़) से भरपूर जलराशि लेकर बह रही उटंगन अब रेहावली गांव (फतेहाबाद ब्लॉक) में यमुना नदी से मिलने के करीब है। यहां यमुना का जलस्तर धीरे-धीरे इस सीमा तक पहुंच गया है कि वह उटंगन में बैक मारना शुरू कर चुकी है।

विशेष बात यह है कि यमुना ने अभी आगरा में लो फ्लड लेवल तक नहीं छुआ है, फिर भी उसकी जलधारा ने रेहावली घाट तक उटंगन को पीछे से भरना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जलप्रवाह का यह विस्तार अगर इसी गति से जारी रहा तो कुछ ही दिनों में यमुना की जलराशि उटंगन को अरनौटा रेलवे पुल तक पीछे धकेल देगी।
ड्रोन मैपिंग से खुले भविष्य के रास्ते
इस जलव्यवस्था की संभावनाओं को समझने के लिए सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने 17 जुलाई 2025 को रेहावली से अरनौटा पुल तक की ड्रोन मैपिंग करवाई। फोटो जनरलिस्ट असलम सलीमी और वाइल्डलाइफ़ फोटोग्राफर ललित रजौरा की मदद से हुई यह मैपिंग प्रशासन और सिंचाई विभाग के सामने एक स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत करेगी कि कैसे इस जलराशि को डैम बनाकर नियंत्रित किया जा सकता है।
ड्रोन से खींची गई आकाशीय तस्वीरों में यह भी स्पष्ट हुआ है कि उटंगन नदी का तल यमुना से लगभग 4 मीटर ऊंचा है। इसका अर्थ है कि यमुना का पानी तभी उटंगन में पीछे जा सकता है जब वह अपने सामान्य स्तर से 4 मीटर ऊपर बह रही हो, जो इस समय हो रहा है।
संभावित डैम: समाधान की चाबी
सिविल सोसाइटी लम्बे समय से यह बात कहती आ रही है कि रेहावली में प्रस्तावित बांध अगर बनता है तो यह सिर्फ एक जलाशय नहीं बल्कि पूरे फतेहाबाद, शमसाबाद, पिनहाट और बरौली अहीर विकासखंडों की जल-समस्या का स्थायी समाधान बन सकता है। जनपद में लगातार गिरते भूजल स्तर की चुनौती से निपटने के लिए यह परियोजना अनिवार्य मानी जा रही है।
सिविल सोसायटी के जनरल सेक्रेटरी अनिल शर्मा और वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना ने सिंचाई विभाग को इस योजना पर शीघ्र कार्य शुरू करने की अपील की है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और जनप्रतिनिधियों की भूमिका
ज्ञातव्य है कि जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया रेहावली बांध योजना का प्रस्ताव तत्काल शासन को भेजने के निर्देश दे चुकी हैं। वहीं रेहावली गांव के प्रधान लायक सिंह ने कहा कि दो नदियों के बीच बसे गांव में जल संकट शर्मनाक है। बांध बनने से न केवल सिंचाई और पेयजल संकट दूर होगा, बल्कि बटेश्वर जैसे तीर्थ क्षेत्रों में पर्वों के दौरान यमुना में स्नान योग्य पानी भी छोड़ा जा सकेगा।
भूजल स्तर और मीठे पानी का संकट
राजस्थान के खनुआ बांध से पानी रोके जाने के बाद उटंगन का प्रवाह प्रभावित हुआ था। अब यदि रेहावली में जलाशय बनता है तो मानसून के बाद भी अपस्ट्रीम से आ रहे 200 क्यूसेक तक के जल को संचित कर इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
नदी के इस बहाव क्षेत्र में रेलवे के तीन प्रमुख ब्रॉडगेज पुल बने हैं, जिनका उपयोग कभी मानसून गेज नापने में होता था। लेकिन अब नदी का कोई सार्वजनिक गेज स्केल जनसामान्य के उपयोग में नहीं है, जिससे निगरानी और प्रबंधन की प्रक्रिया बाधित हुई है।