अपना घर है रुहेलखंडः राजपाल यादव बोले, असरानी का रिप्लेसमेंट सिर्फ असरानी ही हो सकते हैं!
-आरके सिंह- बरेली/शाहजहांपुर। हास्य के बादशाह राजपाल यादव ने दीपावली की सुबह अपने पैतृक गांव कुंडरा बंडा (शाहजहांपुर) में आकर बचपन की यादों को फिर ताजा कर दिया। गांव की चौपाल पर बैठकर उन्होंने जहां रुहेलखंड को अपना घर बताया, वहीं अभिनेता गोवर्धन असरानी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा- असरानी का रिप्लेसमेंट सिर्फ असरानी ही हैं।
माया नगरी मुंबई में व्यस्तता के बावजूद हास्य अभिनेता राजपाल यादव हर साल दीपावली मनाने अपने गांव जरूर आते हैं। इस बार भी वे 35वीं बार लगातार रुहेलखंड की मिट्टी को प्रणाम करने पहुंचे। बुधवार को कुंडरा गांव के अपने पैतृक आवास पर उन्होंने कहा, ‘कुंडरा ही नहीं, पूरा रुहेलखंड मेरा घर है। मैं शाहजहांपुर, पीलीभीत, बदायूं और बरेली- इन चार जिलों की ‘रज’ को हर बार किसी न किसी कार्यक्रम के माध्यम से नमन करता हूं।‘
गांव के लोगों से घिरे राजपाल यादव ने सहजता से बताया कि वह भले ही फिल्म इंडस्ट्री में सम्मान और पहचान हासिल कर चुके हों, लेकिन दिल आज भी गांव की मिट्टी में ही बसता है। बोले- ‘जहां से निकला हूं, वही मेरी पहचान है। मैं रुहेलखंड का बेटा हूं, और ये बात मंच हो या मुम्बई, हर जगह गर्व से कहता हूं।‘
दीपावली की सुबह चौपाल पर जब बात असरानी जी के निधन पर आई, तो राजपाल यादव कुछ भावुक हो गए। उन्होंने बताया, ‘मुझे नहीं पता था कि 20 साल बाद फिर असरानी जी के साथ काम करने का मौका मिलेगा। हाल ही में फिल्म ‘भूत बंगला’ में हमने साथ काम किया। उन्होंने ‘भूलभुलैया’ और ‘ढोल’ जैसी फिल्मों में भी मेरे साथ शानदार भूमिकाएं निभाईं।‘
राजपाल यादव ने याद करते हुए कहा कि बचपन में उन्होंने ‘शोले’ फिल्म टाट (फट्टा) टॉकीज में देखी थी और असरानी द्वारा निभाया गया अंग्रेजों के जमाने का जेलर का किरदार आज भी अमर है।
उन्होंने कहा, ‘जैसे लोगों को गब्बर याद है, वैसे ही असरानी जी का जेलर रूप आज भी जीवित है। असरानी का कोई रिप्लेसमेंट नहीं हो सकता। असरानी सिर्फ असरानी हैं।‘
राजपाल यादव ने कहा कि असरानी जी का जाना हिंदी सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने गांव में ही उनकी स्मृति में दीप जलाकर श्रद्धांजलि दी और कहा कि असरानी जी के हास्य और विनम्रता से उन्होंने बहुत कुछ सीखा।
वार्ता के अंत में राजपाल यादव ने कहा- ‘मुम्बई मेरी कर्मभूमि हो सकती है, लेकिन रुहेलखंड मेरी आत्मा है। दीपावली तभी पूरी होती है जब मैं गांव के लोगों के साथ दीप जलाता हूं।‘




